पणजी, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार को यहां कहा कि बारूदी सुरंगें खत्म करने वाले पोतों (एमसीएमवी) का निर्माण रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में अगले वर्ष शुरू किया जाएगा।
पर्रिकर ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के जो मानदंड हैं, वे अंतिम चरण में हैं, और इसके बाद कीमत को लेकर अंतिम मोल-भाव होगा और अगले वर्ष बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करने वाले पोत का निर्माण शुरू होगा। पर्रिकर पणजी से 40 किलोमीटर दूत सत्तारी में हेलीकॉप्टर रखरखाव एवं मरम्मत केंद्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
पिछले वर्ष गोवा स्थित पोत कारखाने को करीब 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से 12 एमसीएमवी का निर्माण करने का ठेका रक्षा मंत्रालय ने दिया था।
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री पर्रिकर ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि यह जहाज निर्माण उद्योग और रक्षा उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करेगा। गोवा वासियों को सिर्फ सरकारी नौकरी की चाहत नहीं रखनी चाहिए, बल्कि उन्हें निजी क्षेत्र में नौकरी पाने का लक्ष्य तय करके अपने तकनीकी कौशल को भी ऊंचा करने का मौका लेना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “इंजीनियरिंग उद्योग में हमारे पास तकनीकी श्रमशक्ति है। कभी-कभी उन्हें कुछ प्रशिक्षण की जरूरत होती है। आप यदि जांच करेंगे तो पाएंगे कि गोवा वासी पूरे भारत में उच्च तकनीक वाली नौकरी में हैं। स्थानीय स्तर पर भी बहुत सारी प्रतिभाएं उपलब्ध हैं।”
पर्रिकर ने कहा कि राफेल सौदे में 50 प्रतिशत सौदे की रकम का 50 प्रतिशत बदले में भारत में निवेश कर समायोजन करने (ऑफसेट) का प्रावधान है। प्रयास किए जा सकते हैं कि हजार-दो हजार करोड़ रुपये गोवा में राफेल विमानों के पुर्जे बनाने में खर्च किए जाएं।
उन्होंने कहा, “मैं बहुत लालची व्यक्ति नहीं हूं। हम लोगों का 30 हजार करोड़ रुपये का ऑफसेट करार है। हो सकता है कि हजार-दो हजार करोड़ रुपये गोवा के रास्ते भी आ जाए। यदि ऐसा हो सकता है तो गोवा छोटी जरूरतों से संतुष्ट हो सकता है, लेकिन इस तरह की गतिविधियों के लिए तकनीकी समर्थन की जरूरत होगी।”