नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। मणिपुर के 97वें वर्षीय संगीतज्ञ लैशराम बीरेंद्रकुमार सिंह देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चुने जाने पर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि इसका उम्र से कोई लेना-देना नहीं है।
बुधवार का दिन मणिपुरी संगीतज्ञ के लिए खुशियां लेकर आया, जब उन्हें बताया गया कि देश में संगीत के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए उनका नाम पद्मश्री अलंकरण के लिए घोषित किया गया है। लैशराम को इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा कानून और साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि दी जा चुकी है।
आईएएनएस को इम्फाल में अपने निवास स्थल से फोन पर लैशराम ने कहा, “मुझे बहुत खुशी हुई। मेरे लिए उम्र मायने नहीं रखती। मैंने स्वयं को मणिपुर लोक संगीत के लिए समर्पित किया है। सरकार ने मेरे काम से संतुष्ट होकर मेरा नाम पद्मश्री के लिए घोषित किया है।”
संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत लैशराम ने कहा, “संगीत की आधारभूत चीजों से शुरुआत करना बेहद जरूरी है और वह है लोक संगीत। आपको पहले इस बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसके बाद ही आप हिंदुस्तानी संगीत सीख पाएंगे।”
वृद्धावस्था के कारण आईएएनएस के साथ लैशराम ज्यादा देर बातचीत कर पाने में असमर्थता जताई। पद्मश्री सम्मान के लिए दिल्ली आने के बारे में उन्होंने कहा कि यह उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
संगीत के क्षेत्र में लैशराम के अलावा कैलाश खेर, कृष्णा राम चौधरी, टी.के. मूर्ति और अनुराधा पौडवाल भी पद्मश्री अलंकरण के लिए चुने गए हैं।