
अभियोजन के एडीजीसी (क्रिमिनल) गिरिजेश कुमार सिंह के मुताबिक, वादी अशोक कुमार का बेटा प्रशांत उर्फ बबलू (5) 23 मार्च 1996 की शाम करीब पांच बजे घर के सामने खेलते समय गायब हो गया था। 24 मार्च को मामले की रिपोर्ट मोहनगंज थाने में दर्ज कराई गई थी। 27 मार्च 96 को प्रशांत का शव क्षतविक्षत हालत में जमुरवां निवासी उदयभान के गेहूं के खेत में मिला। शव मिलने के बाद गांव के सूर्जलाल और विश्वनाथ प्रसाद ने बताया कि वादी के बेटे को 23 मार्च 96 की शाम गांव के रामचंद्र और विनोद कुमार के साथ जाते देखा गया था। इस पर वादी ने रामचंद्र और विनोद पर बेटे की हत्या करने का शक जाहिर करते हुए पुलिस को सूचना दी। पुलिस की विवेचना में मामला बच्चे की बलि देने का निकला। इसी बीच 11 जून 96 को विवेचना सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। सीबीसीआईडी की विवेचना में कई और आरोपी प्रकाश में आए, जिन्हें मुकदमे में शामिल किया गया। सीबीसीआईडी ने मेढ़ौना गांव के हरिप्रसाद, उसकी पत्नी विशुना देवी, लड़के विनोद कुमार, रामावती, विशुन देई, वीरेंद्र कुमार, रामचंद्र के अलावा जामो थाना क्षेत्र के कपासी गांव के हीरालाल और शिवरतनगंज थाना क्षेत्र के पड़रावां निवासी प्रकाश के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान आरोपी हीरालाल की मौत हो गई और विनोद कुमार को किशोर अपचारी घोषित करते हुए कोर्ट ने उसकी पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड प्रेषित कर दी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त हरिप्रसाद, रामचंद्र और वीरेंद्र कुमार को मृत्यदंड और विशुनादेवी, रामावती, विशुनदेई व प्रकाश को उम्रकैद की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष ने पेश किए नौ गवाह
अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन सिंह ने सभी आरोपियों के खिलाफ 23 अगस्त 2011 को हत्या समेत अन्य अपराध की धाराओं में आरोप गठित किया था। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य के दौरान कुल नौ साक्षियों को कोर्ट में परीक्षित कराया। हालांकि बचाव पक्ष ने भी एक गवाह को अपनी ओर से पेश किया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
मुख्य आरोपी अभी भी फरार
मामले में कथित तांत्रिक त्यागी बाबा उर्फ राम छविदास अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। सीबीसीआईडी ने तांत्रिक के न मिलने पर अन्य अभियुक्तों के खिलाफ छह फरवरी 98 और 30 मार्च 98 को चार्जशीट लगा दी।