नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। पिछले साल घोषित की गई नोटबंदी से मची अफरातफरी एक अस्थायी घटना थी और उच्च मूल्य के नोट को प्रचलन से बाहर करने से ‘स्थायी और पर्याप्त लाभ’ मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह बात कही है।
सीएनबीसी टीवी 18 को दिए एक साक्षात्कार में आईएमएफ के आर्थिक सलाहकार और निदेशक रिसर्च मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि हालांकि नोटबंदी, साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन के कारण अल्पकालिक अवरोध उत्पन्न हुए हैं, लेकिन दोनों ही उपायों से दीर्घकालिक लाभ होगा।
ऑब्स्टफेल्ड ने कहा, “नोटबंदी की लागत काफी हद तक अस्थायी है और हमारा मानना है कि इस कदम से स्थायी और पर्याप्त लाभ होगा।”
उन्होंने कहा, “नोटबंदी और जीएसटी दोनों के दीर्घकालिक लाभ होंगे, हालाकि इनसे अल्पकालिक परेशानियां पैदा हुई हैं।”
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने जीएसटी को एक ‘काम में प्रगति’ के रूप में वर्णित किया और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘धीरे-धीरे समायोजित’ हो रही है।
ऑब्स्टफेल्ड ने भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ अन्य सुधारों को रेखांकित किया, जिसने बहुपक्षीय एजेंसियों को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा, “सरकार ने पहला महत्वपूर्ण कदम, जैसे दिवाला और दिवालियापन संहिता को लागू किया है, जिससे भारत तो विश्व बैंक के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में अपनी स्थिति और सुधारने में मदद मिलेगी।”