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 कविता जीवन को बेहतर तरीके से समझने का गुण देती है : सीताकांत महापात्र | dharmpath.com

Thursday , 1 May 2025

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कविता जीवन को बेहतर तरीके से समझने का गुण देती है : सीताकांत महापात्र

नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। साहित्य अकादेमी द्वारा आज विश्व कविता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय कविता उत्सव आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रख्यात हिंदी कवि एवं साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य केदारनाथ सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। प्रख्यात ओड़िया कवि एवं विद्वान तथा साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य सीताकांत महापात्र ने उद्घाटन वक्तव्य दिया।

महापात्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि कविता हमें जीवन को बेहतर तरीके से समझने का गुण देती है। यह हमें हमारी नियति को भी समझने में सहायता करती है। आज हम जिस कृत्रिम समाज में जी रहे हैं उसमें आशा की किरण हमें कविता ही प्रदान करती है। कविता हमारी सभ्यता और मनुष्य की लंबी जीवन यात्रा के विभिन्न चरणों को भी प्रस्तुत करती है। बहुत सी भाषाओं के लुप्त होने का खतरा है। हम उन भाषाओं को, उनकी कविताओं को सम्मान देकर ही बचा सकते हैं।

उन्होंने अपनी कुछ कविताएं भी प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात बांग्ला लेखिका और विद्वान नबनीता देव सेन ने कहा कि मेरा व्यक्तित्व कविता का ही व्यक्तित्व है। मेरे लिए कविता देकर जीवन है। उन्होंने अपने बचपन में विभिन्न भारतीय भाषाओं के कवियों से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि उन सबके प्रभाव से ही उनकी दृष्टि केवल बांग्ला तक ही सीमित न रहकर भारतीय कविता के व्यापक रूप में विकसित हुई।

उन्होंने कहा कि आज भी जब मैं गद्य या पद्य में कुछ लिखना चाहती हूं तो सबसे पहले कविता को ही चुनती हूं। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि भारतीय कविता पारंपरिक होने के साथ-साथ वैश्विक चेतना से समृद्ध है। भारत में कविता का विकास सदा ही सक्रिय पाठकों के कारण हुआ है। पाठकों की इसी सक्रियता के कारण हमारी कविता हमेशा विशिष्ट और समाज की प्रमुख प्रवृत्तियों को प्रस्तुत करने में सफल रही है। कविता ही पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में बांधने में सफल रही है।

साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने अपने समाहार वक्तव्य में कहा कि कवि अपनी कविताओं के द्वारा एक समांतर दुनिया तैयार करता है, जिसमें दुनिया को बेहतर बनाने के लिए वांछित सारी चीजें उपस्थित होती हंै। संभवत: इसीलिए कवि को प्रजापति कहा जाता है। उन्होंने अपनी कुछ गजलें भी श्रोताओं को सुनाईं। कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यूनेस्को द्वारा विश्व कविता दिवस का आरंभ दुनिया की भाषाई विविधता को सामने लाने के लिए किया गया था और साहित्य अकादेमी भी इसी प्रयास में संलग्न है।

अगले सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात कन्नड लेखक एस.जी. सिद्दारमैया ने की, जिसमें आर. राज राव (अंग्रेजी), विष्णु चंद्र शर्मा (हिंदी), बाल कृष्ण संन्यासी (कश्मीरी), के. जयकुमार (मलयालम), मीठेश निर्मोही (राजस्थानी), निलिखलेश्वर (तेलुगु) ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। अन्य दो सत्रों में प्रबोध पारीख तथा प्रतिभा सत्पथी की अध्यक्षता में यू.जी. ब्रह्मा (बोडो), प्रकाश प्रेमी (डोगरी), गंगा प्रसाद विमल (हिंदी), मेल्विन रोड्रीग्स (कोंकणी), मन प्रसाद सुब्बा (नेपाली), मनमोहन (पंजाबी), उदयचंद्र झा विनोद (मैथिली), राजकुमार भुवस्ना (मणिपुरी), प्रभा गनोरकर (मराठी), राणि सदाशिवमूर्ति (संस्कृत), दयमंती बेसरा (संताली), विम्मी सदारंगाणी (सिंधी), अंडाल प्रियदर्शिनी (तमिÝ़) ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की गईं।

कविता जीवन को बेहतर तरीके से समझने का गुण देती है : सीताकांत महापात्र Reviewed by on . नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। साहित्य अकादेमी द्वारा आज विश्व कविता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय कविता उत्सव आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रख्यात हिं नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। साहित्य अकादेमी द्वारा आज विश्व कविता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय कविता उत्सव आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रख्यात हिं Rating:
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