नई दिल्ली, 2 अक्टूबर – दिल्ली के एक चिड़ियाघर में हाल ही में बाघ के हमले एक युवक की मौत ने भारतीय जूलॉजिकल पार्क की पुर्नसरचना और मरम्मत की जरूरत पर प्रकाश डाला है, जबकि इसने जानवरों और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। इस मुद्दे पर जहां कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि निजी संगठनों को इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, वहीं कुछ अन्य जूलॉजिकल पार्क की अवधारणा पर ही सवाल उठा रहे हैं।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष एस.चिन्नी कृष्णा ने आईएएनएस से कहा, “जूलॉजिकल पार्क को बंद करने की जरूरत है। जानवर चिड़ियाघर में रखे जाने की चीज नहीं है, इसलिए उन्हें जंगली जानवर कहा जाता है। चिड़ियाघर सिर्फ संरक्षण और पुनर्वास के उद्देश्य को पूरा करने के लिए होते हैं और न कि जानवरों पर पत्थर फेंकने और उन्हें तंग करने के लिए होते हैं।”
उन्होंने कहा, “आप भारत में चिड़ियाघर को सुरक्षित स्थान नहीं बना सकते। चिड़ियाघर में जानवरों को रखना उन्हें सोने के पिंजड़े में रखकर भोजन देने जैसा है।”
इस मुद्दे पर वाइल्डलाइफ रिसर्च एंड कंजरवेशन सोसाइटी की प्रबंध निदेशक और वैज्ञानिक प्राची मेहता कहती हैं कि अब वक्त आ गया है जब भारत के 192 चिड़ियाघरों को अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार तैयार किया जाए, जिस पर सेंट्रल जू अथॉरिटी का नियंत्रण है।
प्राची ने आईएएनएस से कहा, “भारत के बाहर बीजिंग जू, सैन डिएगो जू और मिकी ग्रो जू जैसे बेहतरीन चिड़ियाघर हैं जो बेहतरीन शैक्षणिक और शोध मंच मुहैया कराते हैं और जानवरों के बारे में जागरूकता फैलाते हैं।”
इस घटना के बाद सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेए) ने जूलॉजिकल पार्को के लिए नए निर्देश जारी किए थे और इसके पालन से संबंधित रिपोर्ट एक महीने के अंदर पेश करने को भी कहा गया है।
सीजेए के विकास और निरीक्षण अधिकारी बी.के.गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, “अधिकारियों द्वारा 24 सितंबर को जारी किए गए सर्कुलर में सभी चिड़ियाघरों में ऐसी आपातकालीन स्थिति में कार्रवाई करने वाली टीम होने, प्रवेशद्वार पर लोगों की समस्या पर ध्यान देने वाली प्रणाली, चेतावनी के चिन्ह और बंधे हुई रस्सियां जैसे दिशानिर्देश शामिल किए गए हैं।”
लेकिन इसके साथ ही जब चिड़ियाघर की मरम्मत संबंधी सवाल पूछा गया तो चिड़ियाघर के अधिकारियों ने कहा कि सभी जूलॉजिकल पार्क व्यवस्थित हैं और इसे पर्यटकों के लिए सुरक्षित व महफूज बनाने का काम जारी है।
इधर, प्राची मेहता एक बार फिर कहती हैं कि देश के अधिकांश चिड़ियाघर आम लोगों के बागीचे की तरह है, लेकिन यहां पशुओं के अनुकूल गतिविधियां होनी चाहिए तथा ऐसे वीडियो भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जिससे दिल्ली में हुई घटना को दोबारा होने से रोका जा सके।