चेन्नई, 5 सितम्बर (आईएएनएस)। द्रमुक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने बुधवार को तमिलनाडु के राज्यपाल से कहा कि अगर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सी. विजयभास्कर और पुलिस महानिदेशक टी.के. राजेंद्रन खुद अपना पद नहीं छोड़ते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दोनों के कार्यालयों व आवासों पर छापे के बाद स्टालिन ने यह मांग रखी।
स्टालिन ने एक बयान में कहा कि विजयभास्कर और राजेंद्रन का अपने पदों पर बरकरार रहना लोकतंत्र व पुलिस प्रशासन पर एक धब्बा है।
गुटखा घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा तमिलनाडु में मंत्री व डीजीपी के कार्यालयों और आवासों पर छापे के बाद स्टालिन ने कहा, “अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो राज्यपाल (बनवारी लाल पुरोहित) को उन दोनों को बिना देर किए बर्खास्त कर देना चाहिए।”
स्टालिन ने कहा कि सीबीआई के छापे तमिलनाडु के लिए शर्म की बात हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अन्नाद्रमुक सरकार ने घोटाले की जांच को बाधित करने के लिए विभिन्न कदम उठाने का प्रयास किया था।
नई दिल्ली के सीबीआई अधिकारियों ने बुधवार सुबह स्वास्थ्य मंत्री और राजेंद्रन के आवासों समेत तमिलनाडु में कई जगहों पर छापेमारी की थी।
यह मामला 2016 में तमिलनाडु के गुटखा उत्पादकों के कार्यालयों, आवासों और गोदामों पर आयकर विभाग के छापे से संबंधित है। छापे में एक डायरी मिली थी जिसमें दर्ज था कि विभिन्न अधिकारियों को 39.31 करोड़ की रिश्वत दी गई है।
तमिलनाडु सरकार ने 2013 से गुटखे के उत्पादन और उसके भंडार पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि यह उत्पाद कथित रूप से पुलिस अधिकारियों और अन्य की सांठगांठ से बाजार में उपलब्ध है।
द्रमुक विधायक जे. अनबझगन की याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआई को घोटाले की जांच का आदेश दिया था। उन्होंने भी राजेंद्रन और विजयभास्कर के इस्तीफे की मांग की है।
अनबझगन ने आईएएनएस से कहा, “सीबीआई के अंतर्गत जांच सही दिशा में जाती दिखाई दे रही है। घोटालेबाजों के खिलाफ मामला दर्ज होता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। अगर मामला दर्ज नहीं होता है तो हम फिर से मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।”
कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर सीबीआई जांच की मांग की थी लेकिन अन्नाद्रमुक सरकार ने पर असहमति जताई थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने जून में तमिलनाडु के अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था। यह मामला सीबीआई द्वारा मई में दाखिल प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया गया था।
विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद राजेंद्रन को 2018 में दो साल का सेवा विस्तार दिया गया था।