लखनऊ, 19 नवंबर –प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय रेलवे को नए कलेवर में पेश कर उसे गति देना चाह रहे हैं, लेकिन अंदरखाने रेलवे की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
रेलवे के सूत्र बताते हैं कि लखनऊ डिविजन में जिन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति रेलवे स्टेशनों और कार्यालयों में काम करने के लिए की गई है, वे रेलवे का काम करने के बजाय अपने अधिकारियों के निजी कामों में जुटे हैं। अनुमान के मुताबिक ऐसे कर्मचारियों की संख्या 1,000 से अधिक है।
छोटे कर्मचारी हालांकि अपने आला अधिकारियों के खिलाफ खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। दबी जुबान कर्मचारियों ने इसका विरोध भी अपने संगठन में दर्ज कराना शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, इन कर्मचारियों में से अधिकांश रेलवे अधिकारियों के घरों पर रहकर ड्यूटी बजा रहे हैं और अधिकारियों की कृपा से उन्हें रेलवे के कोष से वेतन दिया जा रहा है। बावजूद इसके कोई भी इसका संज्ञान नहीं लेना चाहता है।
रेलवे सूत्रों के अनुसार, उत्तर रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। लखनऊ डिविजन में तकरीबन 4,200 कर्मचारियों में से 3,900 कर्मचारियों को तैनाती दी गई है, जो विभिन्न कार्यालयों में ड्यूटी बजाते कागजों में दर्शाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई इससे जुदा है।
सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे विभाग के अधिकारी सरकारी कामकाज के बजाय अपने निजी कार्यो को तवज्जो दे रहे हैं और इनमें से अधिकांश को अपने घर के कार्यो को निपटाने के लिए आवासों पर तैनात कर रखा है।
लखनऊ डिवीजन के हजरतगंज में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर आला अधिकारियों के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की। कर्मचारी ने कहा कि यह सही है कि उन्हें पैसा तो रेलवे से मिलता है लेकिन उनकी ड्यूटी कहीं और लगाई जाती है।
बकौल कर्मचारी, “हमारा काम ड्यूटी करना है। ऊपर का अधिकारी जहां कहेगा वहां काम करना पड़ेगा। हमें तो काम से मतलब है। हां इतना जरूर है कि इससे रेलवे के काम में बाधा तो आती ही है।”
लखनऊ डिविजन के एक अधिकारी ने भी इस बात पर मुहर लगाई। उन्होंने बताया कि उत्तर रेलवे के सिर्फ लखनऊ जोन में ही ट्रैकमैन, ट्रैक मेंटर, ट्रालीमैन, खलासी आदि पद पर नियुक्त 1,000 से अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी अधिकारियों के घर पर लगाए जाने से विभागीय कामकाज निपटाने में दिक्कतें आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े अधिकारियों के इस रवैए की वजह से ही विभागीय काम का निपटारा समय से नहीं हो पाता है। बावजूद इसके उच्चाधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और समस्या बढ़ती जा रही है।
इस संबंध में ऑल इंडिया एससीएसटी रेलवे कर्मचारी संघ के लखनऊ डिविजन के सचिव आर. पी. राव ने कहा कि हाल ही में डिविजन में एक सर्वे कराया गया था।
बकौल राव, “सर्वे में यह बात सामने आई थी कि लखनऊ डीविजन में 1,080 कर्मचारी ऐसे हैं जिनसे अधिकारियों के घर ड्यूटी कराई जा रही है। जबकि कर्मचारियों से विभागीय कार्य लिए जाने चाहिए। विभागीय कार्यो का निपटारा समय से करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि कर्मचारियों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए।”