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 मप्र में ‘अपने’ ही बन रहे भाजपा के लिए मुसीबत | dharmpath.com

Tuesday , 13 May 2025

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मप्र में ‘अपने’ ही बन रहे भाजपा के लिए मुसीबत

भोपाल, 3 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने ही नेता मुसीबत बनने लगे हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची क्या आई, पार्टी का अनुशासन ही तार-तार हो चला है। कई विधायक मुख्यमंत्री के आवास तक पहुंचकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर व उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर के आक्रामक तेवरों ने आग में घी डालने का काम किया है।

भोपाल, 3 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने ही नेता मुसीबत बनने लगे हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची क्या आई, पार्टी का अनुशासन ही तार-तार हो चला है। कई विधायक मुख्यमंत्री के आवास तक पहुंचकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर व उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर के आक्रामक तेवरों ने आग में घी डालने का काम किया है।

भाजपा ने पहली सूची में 176 विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, पहली सूची में तीन मंत्रियों सहित 33 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इस बात से पार्टी के भीतर जबरदस्त असंतोष है।

धार जिले के सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक वेल सिंह भूरिया का टिकट कटा तो वे स्वयं विरोध में उतर आए। भूरिया ने अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। वहीं पन्ना से विधायक कुसुम महदेले ने अपनी उम्मीदवारी का दावा ठोका।

छतरपुर जिले के मलेहरा विधानसभा क्षेत्र की विधायक रेखा यादव का टिकट कटा तो उनके समर्थक विरोध दर्ज करा रहे हैं। वहीं भोपाल के गोविंदपुरा से भाजपा के कई बार के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर का टिकट अब तक घोषित नहीं किया गया है। गौर खुद या अपनी पुत्रवधू को चुनाव लड़ाने को तैयार हैं। गौर की पुत्रवधू साफ तौर पर कह चुकी हैं कि वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगी। गौर के समर्थन में भाजपा के कई पार्षद लामबंद हो गए हैं।

भाजपा में हर तरफ से विरोध के स्वर जोर पकड़ रहे हैं। वर्तमान हालात में पार्टी के प्रमुख नेता मंत्रणा में लगे हुए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मसानी के पार्टी छोड़ने की खबर ने पार्टी की मुसीबतें और बढ़ा दी है।

कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि पूर्व मुख्यमंत्री गौर और उनकी पुत्रवधू से कांग्रेस के नेताओं की बातचीत चल रही है। अगर गौर और उनकी पुत्रवधू मान जाती हैं तो कांग्रेस उनके समर्थन में आएगी। दोनों ही भाजपा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, इस हालत में कांग्रेस भोपाल के गोविंदपुरा व हुजूर क्षेत्र में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

राजनीति के विश्लेषक सॉजी थॉमस का कहना है कि राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के लिए आसान नहीं है। दल-बदल के जरिए दोनों दल अपने पक्ष में माहौल बनाना चाह रहे हैं, क्योंकि बड़े नेताओं के दल-बदल करने से सामान्य मतदाता के प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है। इसी भरोसे दोनों दल चल रहे हैं।

उन्होंने ने कहा कि वर्तमान में दल बदल के मामले में भाजपा से कांग्रेस बढ़त लेती नजर आ रही है, अब कांग्रेस सूची आने के बाद ही पता चलेगा कि कांग्रेस में क्या होता है।

राज्य में नौ नवंबर तक नामांकन भरे जाना है, अभी तो नामांकन भरने का क्रम शुरू ही हुआ है और भाजपा की पहली सूची आई है, इस सूची ने ही तूफान खड़ा कर दिया है, अब देखना होगा कि बाकी 54 उम्मीदवारों की सूची आने पर भाजपा का क्या हाल होता है।

मप्र में ‘अपने’ ही बन रहे भाजपा के लिए मुसीबत Reviewed by on . भोपाल, 3 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने ही नेता मुसीबत बनने लगे हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची क्या आई, पार्टी का अनुशासन ही तार- भोपाल, 3 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने ही नेता मुसीबत बनने लगे हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची क्या आई, पार्टी का अनुशासन ही तार- Rating:
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