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 ‘बुंदेलखंडी’ बनाएंगे 5 साल के विकास का रोडमैप! | dharmpath.com

Thursday , 15 May 2025

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‘बुंदेलखंडी’ बनाएंगे 5 साल के विकास का रोडमैप!

संदीप पौराणिक

संदीप पौराणिक

भोपाल, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। सरकारें बदलती गईं, मगर बुंदेलखंड के हालात नहीं बदले। जल संकट, सूखा, बेरोजगारी और पलायन का आज भी स्थाई समाधान नहीं खोजा जा सका है। राजनेताओं ने खूब सब्ज-बाग दिखाए, मगर जमीनी हकीकत वही बंजर जमीन जैसी है। यही कारण है कि यहां के आमलोग अब आगामी पांच साल के विकास का रोडमैप बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जो सरकारों के लिए विजन डॉक्यूमेंट का काम करे।

वैसे तो बुंदेलखंड की समस्याओं से राजनेता से लेकर नौकरशाह तक वाकिफ हैं, मगर सक्षम प्रतिनिधित्व के अभाव में इस क्षेत्र में वैसा कुछ नहीं हो पाया है, जिसकी इसे दरकार है। बुंदेलखंड कभी जल संरक्षण और संवर्धन की गाथा कहने वाला इलाका हुआ करता था, मगर अब यही इलाका पानी की समस्या के कारण देश-दुनिया में चर्चा में है।

जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह का कहना है कि “बुंदेलखंड में समस्याएं हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता, मगर यह भी उतना ही सच है कि इन समस्याओं का मानवीय स्तर पर समाधान भी संभव है, शर्त यह है कि इसके लिए ईमानदार पहल हो। बुंदेलखंड पैकेज के रूप में साढ़े सात हजार करोड़ रुपये आए, मगर एक भी जल संरचना ऐसी नहीं है, जो यह बताती हो कि इस राशि से जल संरक्षण या लोगों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया गया है।”

खजुराहो में 27 व 28 अक्टूबर को ‘दुष्काल मुक्ति हेतु राष्ट्रीय जल सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में देश भर के 200 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता, विशेषज्ञ और जल संरक्षण के जानकार हिस्सा लेने वाले हैं। इस दो दिन के सम्मेलन में बुंदेलखंड की जल समस्या पर खास चर्चा होगी, इसका निदान कैसे संभव है, इस पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा।

सम्मेलन के संयोजक मनीष राजपूत ने बताया, “यह सम्मेलन देश के अन्य हिस्सों की जल समस्या के साथ बुंदेलखंड की दशा पर केंद्रित होगा। बुंदेलखंड के हालात बदलने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए, इसका रोडमैप तैयार किया जाएगा। उसे मध्य प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा, ताकि सरकार के लिए यह एक विजन डॉक्यूमेंट का काम करे। सरकार की नीयत अगर बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने की होगी तो वह इस पर अमल करेगी। यह दस्तावेज इसलिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसे जमीनी हकीकत से नाता रखने वाले लोग तैयार करेंगे न कि नौकरशाह या राजनेता।”

बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के सात (नवनिर्मित निवाड़ी सहित) और उत्तर प्रदेश के सात, कुल मिलाकर 14 जिले हैं। इन सभी जिलों की स्थिति लगभग एक जैसी है। कभी यहां नौ हजार से ज्यादा जल संरचनाएं हुआ करती थीं, मगर अब अस्तित्व में एक हजार से कम ही बची हैं। सरकारों ने इन जल संरचनाओं के सीमांकन और चिन्हीकरण के वादे किए, मगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। अब सामाजिक कार्यकर्ता इस क्षेत्र के लिए विकास का रोडमैप बनाने जा रहे हैं।

‘बुंदेलखंडी’ बनाएंगे 5 साल के विकास का रोडमैप! Reviewed by on . संदीप पौराणिकसंदीप पौराणिकभोपाल, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। सरकारें बदलती गईं, मगर बुंदेलखंड के हालात नहीं बदले। जल संकट, सूखा, बेरोजगारी और पलायन का आज भी स्थाई समाध संदीप पौराणिकसंदीप पौराणिकभोपाल, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। सरकारें बदलती गईं, मगर बुंदेलखंड के हालात नहीं बदले। जल संकट, सूखा, बेरोजगारी और पलायन का आज भी स्थाई समाध Rating:
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