कैट के शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि हालांकि सालभर जीएसटी को लेकर व्यापारियों को अनेक परेशनियां भी झेलना पड़ी हैं। मुख्य रूप से जीएसटी पोर्टल का सुचारू रूप से काम न करना, विभिन्न कर दरों में डाली गई वस्तुओं में विसंगतियां, कर प्रणाली की जटिल प्रक्रिया, विभाग से व्यापारियों का रिफंड न मिलना, रिटर्न फार्म की जटिलताएं आदि समस्याएं हैं जिनका अभी ठीक होना जरूरी है।
पदाधिकारियों ने कहा कि जीएसटी एक मायने में व्यापारियों के लिए बेहतर कर प्रणाली साबित हुई है क्योंकि अब व्यापारियों को अनेक प्रकार के कर की जगह केवल एक ही कर का पालन करना होता है। विभिन्न करों की कागजी कार्रवाई के झंझट से भी मुक्ति मिल गई है।
कैट ने उम्मीद जताई है कि प्रस्तावित नए जीएसटी रिटर्न फार्म को अपेक्षाकृत अधिक सरल बनाया जाएगा, जिससे एक आम व्यापारी भी अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स अधिवक्ता पर निर्भर न रहकर खुद ही रिटर्न समय पर भर दे और रिटर्न हर महीने की जगह तिमाही हो जाए।
पदाधिकारियों ने कहा कि जीएसटी से निश्चित रूप से बड़ी संख्या में लोग इनफार्मल सिस्टम से फार्मल इकॉनमी में आए हैं। अगर जीएसटी को और अधिक सरल बनाया जाता है तो बड़ी संख्या में लोग फार्मल इकॉनमी में आएंगे, जिससे सरकार का टैक्स आधार तो बढ़ेगा ही, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होगी।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि 2018 के जाते समय देशभर के व्यापारियों को उम्मीद है कि 2019 में जीएसटी को और अधिक सरल और तर्कसंगत कर प्रणाली के रूप में विकसित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें जीएसटी से संबंधित व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं तो निश्चित रूप से जीएसटी एक व्यापारी मित्र कर प्रणाली के रूप में साबित हो सकता है। अगर जीएसटी को ज्यादा से ज्यादा अपनाने के लिए सरकार व्यापारियों को जीएसटी कर में छूट का लाभ दे तो और भी अच्छा होगा।