अहमदाबाद-कोरोना की दूसरी लहर #Covid 19 Second Wave को आम लोग जितनी बुरी तरह भुगत रहे हैं, उतना ही प्रेशर हेल्थकेयर वर्कर्स भी झेल रहे हैं. डॉक्टर और नर्स सबसे ज्यादा प्रेशर में काम कर रहे हैं. ऐसे माहौल में, अहमदाबाद में प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम के संगठन के सेक्रेटरी डॉक्टर वीरेन शाह ने पद से इस्तीफा दे दिया. वहज आप खुद ही समझ सकते हैं. कि उन्हें सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिल रही थी.
गुजरात भी कोरोना वायरस की मार से बेज़ार है. इसमें भी अहमदाबाद शहर की हालत काफी खराब है. मरीजों के दबाव के चलते प्राइवेट कोविड अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन मिलने में काफी दिक्कतें आ रही थीं. परिणाम स्वरूप कई मरीज और उनके परिवार दवाइयों के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अस्पताल ही नहीं, होम आइसोलेट होने वाले मरीज भी दवाई न मिलने से परेशान हैं.
अहमदाबाद अस्पताल और नर्सिंग होम एसोसिएशन (AHNA), जो अहमदाबाद के डॉक्टरों और नर्सों का संगठन है, उसके सेक्रेटरी थे डॉक्टर वीरेन शाह. डॉ शाह एसोसिएशन के मुद्दों को लगातार अहमदाबाद नगर निगम से लेकर सरकार के सामने उठाते रहे थे.
वह उस प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे जो मंगलवार को रिवरफ्रंट हाउस में अहमदाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर को कोरोना मरीजों की परेशानी के बारे में बताने गए थे. प्राइवेट कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के मामले में जब डॉक्टर वीरेन शाह को संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया. कोरोना से बिगड़े हालात में अहमदाबाद नगर निगम डॉक्टरों को लगातार दोषी ठहरा रहा था. इसे लेकर भी डॉक्टर शाह काफी नाराज थे.
डॉक्टर वीरेन शाह के इस्तीफा देने की पुष्टि बुधवार को AHNA के प्रेसिडेंट डॉक्टर भरत गडवी ने भी कर दी. गुजरात हाई कोर्ट ने भी राज्य में इलाज के लिए इंजेक्शन के मामले में सरकार को फटकार लगाई थी. सरकार का दावा है कि अस्पताल में भर्ती मरीज और होम आइसोलेट मरीजों को इंजेक्शन देने की व्यवस्था की गई है. जबकि रिपोर्ट्स तो ये कहती हैं कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को ही अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को यह कैसे मिल पाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.