नई दिल्ली: मीडिया और शिक्षा जगत सहित विभिन्न क्षेत्रों के 750 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के साथ एकजुटता व्यक्त की है, जिसे न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में प्रकाशित दावों के आधार पर भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के हमलों का सामना करना पड़ रहा है.
न्यूज़क्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ ने एक बयान जारी कर ‘ऐसे किसी भी संकेत से इनकार किया था कि [न्यूज़क्लिक] चीन की कम्युनिस्ट पार्टी या अन्य हितों के मुखपत्र के रूप में कार्य करता है’. हालांकि, इसके तुरंत बाद भाजपा सांसदों और मुख्यधारा के मीडिया चैनलों ने समाचार पोर्टल पर हमला करने के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स के अंश को कई बार साझा किया था.
एक दिन बाद न्यूज़क्लिक का ट्विटर अकाउंट निलंबित कर दिया गया था. हालांकि अब इसे बहाल कर दिया गया है.
समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के समर्थन में एकजुटता दिखाने वाले लोगों में वरिष्ठ पत्रकार, कार्यकर्ता, न्यायाधीश, वकील, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, लेखक, कलाकार, फिल्म निर्माता, अभिनेता और अन्य नागरिक शामिल हैं.
इन लोगों में पत्रकार एन. राम, प्रेम शंकर झा, सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु (द वायर के संस्थापक संपादक), सुधींद्र कुलकर्णी, पी. साईनाथ, और वैष्णा रॉय (फ्रंटलाइन के संपादक), कार्यकर्ता जॉन दयाल, बेजवाड़ा विल्सन (सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक), सैयदा हमीद, हर्ष मंदर और अरुणा रॉय (मजदूर किसान शक्ति संगठन), अधिवक्ता संजय हेगड़े, जस्टिस के. चंद्रू, कॉलिन गोंसाल्वेस और प्रशांत भूषण शामिल हैं.
इनके अलावा लेखक और शिक्षाविद् के. सच्चिदानंदन, जेरी पिंटो, दामोदर मौज़ो, रोमिला थापर, सुमित सरकार, केएम श्रीमाली, तनिका सरकार, प्रभात पटनायक, उत्सा पटनायक, जयति घोष, सीपी चंद्रशेखर, ज़ोया हसन और ज्यां द्रेज़ और रत्ना पाठक शाह, नसीरुद्दीन शाह और आनंद पटवर्धन जैसी फिल्मी हस्तियों ने भी न्यूज़क्लिक के प्रति समर्थन व्यक्त किया है.
इनकी ओर से जारी संयुक्त बयान में न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ आरोपों को ‘गलत’ बताया गया है और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट जिसने इन हमलों को जन्म दिया, में ‘न्यूज़क्लिक द्वारा किसी भी कानून के उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है.’
बयान में कहा गया है कि समाचार पोर्टल समाज के सबसे उत्पीड़ित वर्गों को केंद्र में रखते हुए समाचार प्रकाशित करता है और सरकार का आलोचक रहा है.
बयान में कहा गया है, ‘अपनी स्थापना के बाद से न्यूज़क्लिक ने सरकारी नीतियों और कार्यों तथा हमारे लाखों देशवासियों और महिलाओं के जीवन पर उनके प्रतिकूल प्रभाव की आलोचनात्मक कवरेज प्रदान की है. विशेष रूप से हमारे समाज के सबसे उत्पीड़ित और शोषित वर्गों, इसके श्रमिकों और किसानों के संघर्षों पर ध्यान केंद्रित किया है.’
आगे कहा गया है, ‘इसमें उनकी पीड़ा और संकट को स्पष्ट करने और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने वाले सभी प्रकार के लोगों के आंदोलनों की भूमिका को उजागर करने का प्रयास किया गया है. इसमें ऐसी रिपोर्ट भी शामिल हैं जो अलग-अलग लेखकों के अक्सर अलग-अलग दृष्टिकोणों के माध्यम से देखी गई अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण करती हैं.’
न्यूज़क्लिक के समर्थन में आए लोगों का कहना है कि न्यूज़क्लिक को निशाना बनाना भारतीय संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वेबसाइट उस तरह की जानकारी प्रदान करती है जो लोगों को उनके साथ होने वाले अन्याय से लड़ने के लिए आवश्यक है.
बयान के अनुसार, ‘यह लोकतंत्र में अपने पाठकों को सरकार की विफलताओं के बारे में सूचित करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने की स्वतंत्र पत्रकारिता की कर्तव्यनिष्ठ भूमिका पर हमला है. यह इस देश के लोगों के सूचना के अधिकार पर हमला है, जो उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने में सक्षम बना सकता है.’
आगे जोड़ा गया है, ‘दुर्भाग्य से कॉरपोरेट स्वामित्व वाले मीडिया के युग में कॉरपोरेट प्रभाव से मुक्त स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए जगह कम हो गई है. यह और भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक शातिर मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है, जबकि न्यूज़क्लिक के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच अदालत में चल रही है.’