नई दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए को निरस्त किए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पीड़िता रेणु श्रीनिवासन ने स्वागत किया है। रेणु को इस कानून के तहत जेल जाना पड़ा था।
साल 2012 में शिव सेना नेता बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार के दौरान मुंबई में बंद की स्थिति को लेकर फेसबुक पर टिप्पणी के बाद शाहीन ढाडा और रेणु श्रीनिवासन को गिरफ्तार किया गया था। शाहीन ने फेसबुक पर टिप्पणी की थी, जबकि रेणु ने उसे ‘लाइक’ किया था।
सर्वोच्च न्यायालय के मंगलवार के फैसले पर रेणु ने खुशी जाहिर की। रेणु ने कहा, “मेरी टिप्पणी में कोई गलत बात नहीं थी। लोगों को अपनी राय जाहिर करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मुझे इस बात पर बेहद प्रसन्नता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 66ए निरस्त कर दी। हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जहां हर किसी को अपने मन की बात कहने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, चाहे वह माध्यम सोशल मीडिया ही क्यों न हो।”
श्रीनिवासन ने कहा, “जब मुझे गिरफ्तार किया गया था, मुझे इस तरह के किसी कानून का पता नहीं था। इसके बाद फेसबुक या ट्विटर पर कुछ भी पोस्ट करने में मुझे डर लगने लगा था। अब सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से लोग अपनी अभिव्यक्ति को जाहिर करने में खुद को स्वतंत्रत महसूस करेंगे।”