चांदी बानजंग (नेपाल), 4 मई (आईएएनएस)। काठमांडू की ओर जा रहे एक राजमार्ग के किनारे राहत सामग्री वितरित कर रहे वाहन के इर्द-गिर्द भूकंप पीड़ितों के बीच राहत सामग्री पाने के लिए छीना-झपटी जैसी स्थिति है। इनमें से कुछ को राहत सामग्री पाने के लिए पूरे एक दिन पैदल चलकर आना पड़ा है तो कुछ को इससे भी अधिक।
चांदी बानजंग (नेपाल), 4 मई (आईएएनएस)। काठमांडू की ओर जा रहे एक राजमार्ग के किनारे राहत सामग्री वितरित कर रहे वाहन के इर्द-गिर्द भूकंप पीड़ितों के बीच राहत सामग्री पाने के लिए छीना-झपटी जैसी स्थिति है। इनमें से कुछ को राहत सामग्री पाने के लिए पूरे एक दिन पैदल चलकर आना पड़ा है तो कुछ को इससे भी अधिक।
नेपाल में विनाशकारी भूकंप के सप्ताह भर बाद विभिन्न राजमार्गो पर इस तरह का दृश्य देखा जा सकता है।
काठमांडू को जाने वाले राजमार्ग पर कुछ 85 किलोमीटर दूर राहत सामग्री से लदे एक वाहन को चारों ओर से युवकों, महिलाओं और बच्चों के एक समूह ने घेर रखा है।
जापान और नेपाल रेड क्रॉस की ओर से वितरित की जा रही राहत सामग्री को पाने की पीड़ितों में होड़ सी मची हुई है।
840 घर वाले एक छोटे से गांव से आए इन भूकंप पीड़ितों को चावल, गेंहूं, आटे, तेल, नमक, साबुन जैसे रोजमर्रा के सामानों के पैकेट लेकर घर वापस भी लौटना है, जहां पहुंचने में उन्हें पूरा दिन लग जाएगा।
ऐसे ही एक युवक युवराज रोली ने आईएएनएस से कहा कि अब तक उनके गांव कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है और न ही कोई सरकारी मदद पहुंची है। सिर्फ रेड क्रॉस सोसायटी और जापान के गैर सरकारी संगठन शापला नीर तथा रूरल रीकंस्ट्रक्शन नेपाल (आरआरएन) की ओर से एक बार राहत सामग्री उनके गांव तक पहुंचाई गई है।
युवक ने बताया कि गांव में करीब 500 घर ध्वस्त हो चुके हैं, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई।
किशोर झालन गुरुं ग ने बताया कि उसके गांव में भारी तबाही हुई है और इससे उबरने में कई वर्ष लग जाएंगे।
राहत कार्य में जुटे नेपाल रेड क्रॉस के राज श्रेष्ठ ने बताया कि उन्होंने उस दिन दाराजी चौक में राहत सामग्री वितरित की थी, जिसमें खाद्य सामग्रियों के 150 पैकेट और तीन लाख नेपाली रुपयों की कीमत की दवाइयां वितरित की गई थीं।
आरआरएन के रवींद्र सिंह ने बताया कि खुद लाई राहत सामग्रियों के अलावा उन्होंने भारत के वाराणसी से चिकित्सकों द्वारा भेजी गई सामग्री भी वितरित की।
पीड़ित गांववासी राहत सामग्री लेकर अपने-अपने गांव, घर की ओर चल दिए हैं तथा राहत बांटने वाली टीम भी दूसरे गांव की ओर रवाना हो चुकी है, लेकिन सभी को यह अहसास जरूर हो रहा है कि पीड़ितों को पूरी तरह राहत पहुंचाने के लिए अभी लंबा और कठिन सफर तय करना है।