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 मप्र : फिट नहीं बसें, कैसे न हों हादसे | dharmpath.com

Monday , 26 May 2025

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मप्र : फिट नहीं बसें, कैसे न हों हादसे

भोपाल, 8 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में हुए बस हादसे में 21 लोगों के जिंदा जलने के बाद जागे परिवहन विभाग की पकड़ में सैकड़ों ऐसी बसें आई हैं, जिनमें न तो आपातकालीन खिड़की है और न ही अन्य सुविधाएं। यही कारण है कि सिर्फ एक दिन में 350 बसों के फिटनेस निरस्त किए गए हैं।

भोपाल, 8 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में हुए बस हादसे में 21 लोगों के जिंदा जलने के बाद जागे परिवहन विभाग की पकड़ में सैकड़ों ऐसी बसें आई हैं, जिनमें न तो आपातकालीन खिड़की है और न ही अन्य सुविधाएं। यही कारण है कि सिर्फ एक दिन में 350 बसों के फिटनेस निरस्त किए गए हैं।

पन्ना जिले में छतरपुर से सतना जा रही बस के खाई में गिरने के बाद आग लग गई थी, इसमें 21 लोग जिंदा जल गए थे। हादसे में ज्यादा लोगों की मौत की बड़ी वजह बस में आपातकालीन खिड़की और दरवाजे का न होना पाया गया था। इस खुलासे के बाद ही राज्य सरकार और परिवहन विभाग हरकत में आया।

परिवहन विभाग ने बसों की जांच शुरू कर दी है। इस अभियान के पहले ही दिन यानी बुधवार को सड़क पर दौड़ती 350 ऐसी बसें मिलीं, जिनमें आपातकालीन खिड़की या दरवाजा नहीं था। इसके अलावा फर्स्ट एड बॉक्स से लेकर अन्य सुविधाएं भी नदारद थीं। लिहाजा, इन बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट रद्द कर दिया गया है।

परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया कि पन्ना हादसे के बाद विभाग सड़क पर दौड़ रहीं तमाम बसों की पड़ताल कर रहा है, ताकि नियमों का कड़ाई से पालन हो सके और हादसे में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। जिन बसों में आपातकालीन खिड़की सहित अन्य सुविधाएं नहीं पाई गई हैं, उनके फिटनेस निरस्त कर दिए गए हैं। यह अभियान सात दिन चलेगा।

श्रीवास्तव ने विभाग में अमले की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि कई बस संचालक इसका लाभ उठाते हैं। जिन संचालकों के पास एक से ज्यादा बसें हैं, वे सिर्फ एक बस के लिए सभी सुविधाएं, मसलन फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन सिलेंडर जुटाकर सभी बसों का फिटनेस हासिल कर लेते हैं।

उन्होंने माना कि परिवहन कार्यालय में यह लापरवाही की जाती है कि एक बस की सुविधाओं को सभी बसों में होना मानकर फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया जाता है।

परिवहन आयुक्त ने यह भी बताया कि जिन बसों में आपातकालीन खिड़की होती है, उसे बंद कर बस संचालक वहां अस्थायी सीट लगा लेते हैं, जिस कारण हादसे के समय आपातकालीन खिड़की का इस्तेमाल नहीं हो पाता।

राज्य में दौड़ती डीलक्स और वोल्वो बसों में भी आपातकालीन खिड़की नहीं है और सिर्फ एक ही दरवाजा है, इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि डीलक्स बसों में एक दरवाजा और आपातकालीन दरवाजे का प्रावधान है, इन बसों में भी आपातकालीन खिड़की होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि डीलक्स बसों का भी परीक्षण कराया जाएगा और जरूरत पड़ी तो राज्य के सड़क परिवहन कानून में बदलाव किया जाएगा।

काश! परिवहन विभाग की यह सात दिनी मुहिम रंग लाए और राज्य की बसों की हालत सुधर जाए, ताकि पन्ना जैसे हादसे के समय कई लोग अपनी जांच बचाने में कामयाब हो सकें।

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