नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)। विमानों के डैने, दरवाजे और बीम विनिर्माण की इकाइयां स्थापित करने के बाद कई वैश्विक विमान कंपनियां भारत में गतिविधि बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं, क्योंकि 2020 तक देश को 1,400 नए विमानों की जरूरत पड़ सकती है। यह बात नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कही।
नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)। विमानों के डैने, दरवाजे और बीम विनिर्माण की इकाइयां स्थापित करने के बाद कई वैश्विक विमान कंपनियां भारत में गतिविधि बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं, क्योंकि 2020 तक देश को 1,400 नए विमानों की जरूरत पड़ सकती है। यह बात नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कही।
राजू ने यहां राजीव गांधी भवन स्थित अपने कार्यालय में आईएएनएस से कहा कि कई वैश्विक कंपनियां भारत को रक्षा और वाणिज्यिक विमानों के अगले बड़े केंद्र और बाजार के रूप में देखती हैं।
राजू ने कहा, “प्रैट एंड विटनी ऐसी एक कंपनी है। वह आने वाले समय में यहां अपनी इकाई शुरू करना चाहती है। उनके प्रस्तावों पर हमने उनसे कई बार बात की है।”
राजू ने कहा कि भारत उड्डयन और इससे संबंधित क्षेत्रों के लिए एक आकर्षक स्थान बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की कंपनियां मेक इन इंडिया अभियान और व्यापार की सुविधा जैसे पहल को गंभीरता से ले रही हैं।
मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए खरीदी के नए दिशानिर्देश के तहत जो राशि भारत में विनिर्माण पर खर्च होगी, उसका उपयोग नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी हो सकता है। इससे इस क्षेत्र में काफी तेजी आ सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्रालय से बातचीत भी चल रही है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास युवाओं की फौज है। हम रोजगार और दक्षता बढ़ाना चाहते हैं। जो कंपनियां ये दोनों दे सकती हैं या अपने विनिर्माण का कुछ हिस्सा भारत में लाना चाहती हैं, उसे पूरा सहयोग दिया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “भारत में विनिर्माण लागत भी 15-25 फीसदी कम है। साथ ही भारतीय उद्योग और हमारे लोग जटिल विनिर्माण में सक्षम हैं।”
राजू ने कहा कि भारत में बने उत्पादों के प्रमाणीकरण और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की वर्षो पुरानी समस्या अब कोई बाधा नहीं रही है। उन्होंने कहा, “हम नियमित तौर पर और गहन गुणवत्ता परीक्षण करते हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय जांच और प्रमाण में पूरी तरह सक्षम हो चुका है।”