नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने शनिवार को सभी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित एवं अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से देश के 69वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायाधीशों और वकीलों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित और अक्षुण्ण रखने के लिए पीठ एवं बार को एकजुट होना होगा।
उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को राष्ट्रीय संपदा करार दिया।
समारोह में मौजूद कानून के दिग्गजों को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीश तथा अधिवक्ता मिलकर न्याय वितरण प्रणाली का निर्माण करते हैं। अकेले न्यायाधीश या अधिवक्ता कुछ नहीं कर सकता। वे न्याय व्यवस्था के पहिये हैं।
उन्होंने अधिवक्ताओं से पेशे की छवि बरकरार रखने की अपील की।
स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करते हुए सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा कि आजादी का लुत्फ उठाना आसान है, लेकिन उसे संजोए रखना बेहद मुश्किल। उन्होंने कहा कि इस आजादी को संजोए रखना कानून से जुड़े लोगों का कर्तव्य है।
दवे ने कहा कि कार्यपालिका (सरकार) हालांकि हमेशा सामाजिक नियंत्रण चाहेगी और तर्क दिया कि राष्ट्र की सुरक्षा एक व्यक्ति की सुरक्षा से महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन एक व्यक्ति की सुरक्षा से भी समझौता नहीं किया जा सकता।
व्यवस्था में समस्याओं की ओर इशारा करते हुए दवे ने कहा, “न्याय व्यवस्था दबाव में है और जिस तरह से चीजें चल रही हैं, इसमें लंबा वक्त लग सकता है।”
उन्होंने सरकार से मुद्दों पर खुले दिमाग से ध्यान देने तथा हालात से निपटने के लिए सक्रिय व आक्रामक कदम उठाने की अपील की।
केंद्रीय कानून मंत्री डी.वी.सदानंद गौड़ा ने कहा कि लोगों का एक छोटा सा समूह कानूनी समाधान ढूंढने की जगह गड़बड़ी फैला रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को उनके कार्यो के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।