नई दिल्ली/कोच्चि, 23 अगस्त (आईएएनएस)। सोने के आभूषणों के प्रति भारतीयों का लगाव जगजाहिर है, लेकिन डीमैट सोने की लोकप्रियता धीमे-धीमे बढ़ेगी।
नई दिल्ली/कोच्चि, 23 अगस्त (आईएएनएस)। सोने के आभूषणों के प्रति भारतीयों का लगाव जगजाहिर है, लेकिन डीमैट सोने की लोकप्रियता धीमे-धीमे बढ़ेगी।
डीमैट सोने का सबसे पुराना रूप है सोना एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ)। म्यूचुअल फंड की तरह यह शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होता है। खरीदने के बाद यह वास्तविक सोने का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप में खरीदार के खाते में रहता है। इसकी कीमत वास्तविक सोने के अनुरूप होती है और इसे शेयर या म्यूचुअल फंड की तरह खरीदा या बेचा जा सकता है।
विश्व स्वर्ण परिषद-भारत के प्रबंध निदेशक सोमा सुंदरम पी.आर. ने आईएएनएस से कहा, “निवेश के रूप में गोल्ड ईटीएफ की मांग शुरू में अच्छी रही। म्यूचुअल फंड उद्योग में सुस्ती आने के बाद गोल्ड ईटीएफ में सुस्ती आ गई।”
उन्होंने कहा, “मुझे हालांकि विश्वास है कि लंबी अवधि में गोल्ड ईटीएफ निवेश की विकास दर बढ़ेगी।”
अभी 14 गोल्ड ईटीएफ बंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। इन ईटीएफ के प्रबंधन के तहत कुल करीब 6,800 करोड़ रुपये की संपत्ति आती है।
गोल्ड ईटीएफ की शुरुआत भारत में 2006-07 में हुई थी।
इस साल बजट में प्रस्तावित गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना इलेक्ट्रॉनिक सोने का एक अन्य रूप है।
इसके तहत 30 ग्राम या अधिक सोना बैंक में रखा जा सकेगा, जिस पर ब्याज मिलेगा।
सरकार ने इस पर दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया है और जल्द ही इससे संबंधित आखिरी नियम घोषित हो सकते हैं।
तिरुवनंतपुरम की शेयर ब्रोकिंग कंपनी कैपस्टॉक्स एंड सिक्युरिटीज के प्रबंध निदेशक राजेंद्रन वी ने कहा, “केरल में वास्तविक सोने के प्रति लगाव अधिक होने से गोल्ड ईटीएफ में अधिक कारोबार नहीं हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि उनके ग्राहकों में सिर्फ एक फीसदी ही ऐसे हैं, जो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं।
जियोजीत बीएनपी पारिबा के राष्ट्रीय बिक्री प्रमुख सानिल कुमार ने आईएएनएस से कहा, “बुजुर्ग निवेशकों का जहां वास्तविक सोने से लगाव होता है, वहीं नई पीढ़ी गोल्ड ईटीएफ अपना रही है।”
कोलकाता में आर.जी. फाइनेंशियल सर्विसिस के संस्थापक रजत घोष ने कहा, “कोलकाता में मैंने अधिक लोगों को गोल्ड ईटीएफ या सिक्के में निवेश करते नहीं पाया है। मेरे खयाल से ईटीएफ की स्वीकृति बनने में तीन-चार साल और लगेंगे।”