नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को निजी कंपनियों पर ऊंची दर पर बिजली आपूर्ति करने का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह दिल्ली सरकार को पिछले बिजली समझौते रद्द करने की अनुमति दें।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने बिजली बिल से संबंधित विवादों के निपटान की योजना पेश करते हुए कहा, “यदि अनुमति मिले तो दिल्ली में बिजली दर और घटेगी।”
केजरीवाल ने कहा कि यदि एक घंटे से अधिक लंबी बिजली कटौती होगी तो आपूर्ति करने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा।
देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की एक प्रारंभिक रपट ने आप सरकार के इस आरोप को और मजबूत किया है कि दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियां अपने खाते में हेराफेरी करती हैं। रपट में कहा गया है कि राजधानी की तीनों डिस्कॉम कंपनियों ने बढ़ाचढ़ाकर घाटा दिखाया है।
आप द्वारा जारी ट्विटर संदेश के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से दिल्ली सरकार को सस्ते दर पर बिजली खरीदने की अनुमति देने का आग्रह किया और कहा कि सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली दर ऊंची इसलिए है, क्योंकि आधी से अधिक बिजली प्रति यूनिट 5.50 रुपये की दर से खरीदी जा रही है।
उन्होंने कहा, “हमें पता चला है कि कई बिजली कंपनियां 2.5-3 रुपये प्रति यूनिट की दर से आपूर्ति करने के लिए तैयार है।”
उन्होंने कहा कि जब इस दर पर बिजली मिल सकती है, तो ऊंची दर पर क्यों खरीदी जाए।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने बिजली कंपनियों से 30 साल तक का समझौता किया है।
केजरीवाल ने कहा, “बिजली कंपनियां हमें उनसे बिजली खरीदने के लिए बाध्य कर रही हैं।”
उन्होंने कहा, “कंपनियां हम पर दबाव दे रही हैं, लेकिन जनता को क्यों नुकसान हो?”
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं केंद्र सरकार और मोदी से आग्रह करता हूं कि वे हमें निजी कंपनियों से किए गए समझौते रद्द करने की अनुमति दें।”
बिजली विवाद निपटान योजना पूर्वी दिल्ली के विनोद नगर में लागू की गई है। यह ऐसे लोगों के लिए है, जो अधिक बिल भेजे जाने, मीटर के साथ छेड़छाड़ किए जाने और अनधिकृत कनेक्शन जैसे विवादों में शामिल हैं।
एक महीने की इस योजना से करीब 2.5 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। केजरीवाल ने कहा, “मेरे खयाल से इससे अच्छी योजना नहीं हो सकती। चाहे कितना भी पुराना विवाद हो, झुग्गीवासी 250 रुपये भुगतान कर विवाद निपटा सकते हैं।”
उन्होंने डिस्कॉम कंपनियों से भी यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके कर्मचारी अधिक बिल नहीं भेजा करें।