नई दिल्ली । सन उन्नीस सौ चौरासी में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगा मामले में अदालत ने बुधवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को तगड़ा झटका देते हुए उन्हें क्लीन चिट देने वाली सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। तीन लोगों की हत्या के मामले में अदालत ने सीबीआइ को फिर से जांच का आदेश दिया है। ताजा फैसला केंद्र सरकार के नियंत्रण में कार्य करने वाली सीबीआइ की साख पर इसलिए गंभीर सवाल है क्योंकि अदालत ने जांच एजेंसी की दो बार की जांच को स्वीकार नहीं किया और अब मामले की तीसरी बार जांच का आदेश दिया है। दोनों बार टाइटलर को क्लीन चिट दी गई थी। अदालत का यह फैसला उस समय आया है जब गुजरात दंगों को लेकर कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में लगे हैं।
29 साल पहले दिल्ली के पुल बंगश इलाके में तीन सिखों को जिंदा जलाने के इस मामले में सीबीआइ ने पुन: जांच की याचिका का यह कहकर विरोध किया था कि आरोपों को पुष्ट करने का कोई आधार ही नहीं है। जबकि याचिका में कहा गया था कि जांच एजेंसी ने उपलब्ध साक्ष्यों का सही तरीके से परीक्षण ही नहीं किया। 27 अप्रैल, 2010 को दाखिल क्लोजर रिपोर्ट पर अदालत ने बुधवार को फैसला दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों और दर्ज किए गए बयानों के आधार पर सीबीआइ इस मामले की फिर से जांच करे।
दर्ज रिकॉर्ड में उन चश्मदीदों के बयान हैं जिन्होंने घटना को देखा था और आरोपियों को नाम से पहचानने का दावा किया था। सीबीआइ ने मामले में टाइटलर को दो बार पाक साफ करार दिया था और उनके खिलाफ मामला बंद करने की अदालत से अनुमति मांगी थी।
अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआइ अमेरिका में रह रहे उन तीन लोगों के बयान भी दर्ज करे जो खुद को चश्मदीद बता रहे हैं। उनके बयानों से ही पता लग सकेगा कि वे सही बोल रहे हैं या झूठ। अभी तक सीबीआइ ने इन तीनों के दावों को तवज्जो नहीं दी थी और उनका बयान भी दर्ज नहीं किया था। सीबीआइ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह अदालत के आदेश का अध्ययन करेगी और फैसला करेगी कि उसे क्या करना है।
कानूनी राय के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी सीबीआइ
नई दिल्ली। जगदीश टाइटलर के खिलाफ केस की दोबारा जांच के आदेश से सकते में आई सीबीआइ अदालत के फैसले पर कानूनी राय के बाद ही आगे की कार्रवाई करेगी। वैसे सीबीआइ अब भी दावा कर रही है कि उसने सभी चश्मदीद गवाहों से पूछताछ कर ली है और जिन तीन चश्मदीद गवाहों के बारे में अमेरिका में रह रहे गवाह ने बताया है, वे एजेंसी को मिले ही नहीं।
सीबीआइ की प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने कहा कि अदालत के आदेश की लिखित प्रति मिलने के बाद विधि अधिकारियों की राय के अनुसार आगे की दिशा तय की जाएगी। वहीं सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार अमेरिका में रहने वाले गवाह के दावों की पुष्टि के लिए अलग से कोई सुबूत नहीं मिले हैं। ऐसे में सिर्फ उसके बयान के आधार पर टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकती है। यही नहीं, उस गवाह ने दिल्ली में रहने वाले जिन तीन अन्य गवाहों के बारे में बताया, वे एजेंसी को मिले ही नहीं।
जवाब देते नहीं बन रहा कांग्रेस को
नई दिल्ली। गुजरात दंगों के लिए वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरती रही कांग्रेस को सन् 84 के सिख विरोधी दंगों में अपने वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ निचली अदालत के फैसले से बड़ा झटका लगा है। 28 साल पुराने मामले में टाइटलर के खिलाफ फिर से मुकदमा चलाने के आदेश के बाद कांग्रेस के लिए इस मसले पर बोलना मुश्किल हो रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उक्त दंगे भड़के थे। चुनावी माहौल में सिख दंगों का मामला फिर से उभरने से कांग्रेस की पेशानी पर बल गए हैं। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर गुजरात दंगों के लिए जोरदार हमला बोलती रही कांग्रेस अब सिख दंगों पर बैकफुट पर नजर आ रही है। इस मसले पर स्वयं टाइटलर का कहना था कि मेरे पास न कुछ बताने को है और न ही कुछ छिपाने को।
अदालती फैसले का असर कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी पर साफ दिखाई पड़ा। उन्होंने बेहद सतर्कता के साथ कहा कि अदालत के फैसले का पार्टी सम्मान करती है, इस मामले में सुबूत सामने आएंगे तो देखा जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि नरेंद्र मोदी का इस्तीफा पार्टी इसी आधार पर मांगती रही है तो उन्होंने कहा कि दोनों अलग मामले हैं और टाइटलर को दोषी नहीं करार दिया गया है। मीडिया ने पलटकर सवाल पूछा कि दोषी तो मोदी भी करार नहीं दिए गए हैं, फिर.? इस पर रेणुका कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सकीं। सांप्रदायिकता के मुद्दे पर कांग्रेस को अपने हमले की धार भोथरी होने की आशंका भी सता रही है।
भाजपा ने स्वागत किया
प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि 1984 में राजधानी में पांच दिनों तक एकतरफा नरसंहार जारी रहा। इतना ही नहीं देश के कुछ हिस्सों में तो यह और अधिक समय तक जारी रहा। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि उक्त प्रायोजित नरसंहार को भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उक्त कथन से प्रेरणा मिली थी जिसमें उन्होंने कहा था ‘जब कोई बड़ा वृक्ष गिरता है तो धरती ढोलती है’।
हर बार नकारे टाइटलर पर आरोप
-एक नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के नजदीक तीन सिखों को जिंदा जलाया गया
– पुलिस ने 31 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया लेकिन सभी बरी हो गए।
-नानावती आयोग की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने सीबीआइ को मामले की जांच के आदेश दिए
-सीबीआइ ने सन 2005 में दोबारा प्राथमिकी दर्ज की और जगदीश टाइटलर के खिलाफ जांच शुरू की
– 28 अक्टूबर, 2007 को सीबीआइ ने मामले की जांच कर एक व्यक्ति सुरेश कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और बताया कि टाइटलर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला
– अदालत ने एक शिकायत पर 18 दिसंबर, 2007 को सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए
– दिसंबर, 2008 में सीबीआइ अधिकारियों ने अमेरिका जाकर वहां रह रहे चश्मदीद गवाह जसबीर सिंह के बयान दर्ज किए
– सीबीआइ ने दोबारा जांच के बाद 2 अप्रैल, 2009 अदालत में फिर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। निचली अदालत ने इसे 27 अप्रैल, 2010 को स्वीकार कर लिया
-मामले की पैरोकार लखविंदर कौर ने मामले में सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की
– इसी याचिका पर सेशन कोर्ट ने बुधवार को क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करके फिर से जांच का आदेश सीबीआइ को दिया।