भोपाल, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अब किसानों की फसल खराब होने पर राहत फसल की उत्पादकता के आधार पर दी जाएगी, इसे केवल वर्षा की कमी से संबद्ध नहीं किया जाएगा। यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कृषि कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
कृषि कैबिनेट की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अल्पावधि फसल ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तन किए जाने पर नाबार्ड से पुनर्वित्त (आर्थिक सहायता) प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सूखे के संकट से जूझ रहे किसानों को राहत पहुंचाने के सारे उपाय किए जा रहे हैं। किसानों को हुए नुकसान की वास्तविक स्थिति के आकलन के लिए 25 से 27 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी मंत्री भी अपने प्रभार के जिलों के गांव में जाएंगे और किसानों से चौपाल पर बैठकर चर्चा करेंगे। भोपाल में 31 अक्टूबर को एग्रीकल्चर टास्क फोर्स की बैठक में भविष्य की खेती के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा। किसानों के कल्याण के सभी दीर्घकालिक उपाय किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों के समन्वय से आगामी रबी की फसल में बेहतर उत्पादन करने के उपाय किए जाएंगे। विभागों के बजट से 15 प्रतिशत कटौती कर किसानों को राहत उपलब्ध कराई जाएगी।
बैठक में बताया गया कि अल्पवर्षा और फसलों के नुकसान से प्रदेश में सोयाबीन, उड़द, मूंग, अरहर और धान का उत्पादन भी कम होगा। सोयाबीन की फसल को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। प्रदेश में करीब 13 हजार 800 करोड़ रुपये की फसलों का नुकसान हुआ है। अभी गत वर्ष की खरीफ -2014 के नुकसान की फसल बीमा की राशि 515 करोड़ रुपये वितरित की जा रही है। इसी तरह रबी 2014 में लगभग 500 करोड़ रुपये का दावा संभावित है जो आगामी नवंबर माह में वितरित किया जाएगा।
इसी तरह इस वर्ष खरीफ की फसल में नुकसान के लिए करीब 3000 करोड़ रुपये के दावे संभावित हैं। आगामी रबी में प्रदेश में खाद-बीज और अन्य कृषि आदानों का पर्याप्त भंडारण उपलब्ध है।