Friday , 1 November 2024

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प्रमुख परमाणु संयंत्रों का परिचालन जल्द शुरू करना होगा : शेखर बसु

चेन्नई, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के नवनियुक्त अध्यक्ष शेखर बसु भारत को यूरेनियम स्वायत्त देश बनाने के अपने अभियान को लेकर बेहद प्रतिबद्ध नजर आते हैं और वह इसे जल्द से जल्द हासिल करना चाहते हैं।

चेन्नई, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के नवनियुक्त अध्यक्ष शेखर बसु भारत को यूरेनियम स्वायत्त देश बनाने के अपने अभियान को लेकर बेहद प्रतिबद्ध नजर आते हैं और वह इसे जल्द से जल्द हासिल करना चाहते हैं।

बसु परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव भी हैं और भारतीय परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वालों के बीच उन्हें बात कम और काम ज्यादा करने वाले धुनी व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है।

बसु ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं जिनमें तेजी लाए जाने की जरूरत है ताकि उन्हें जल्द जल्द से फिर से शुरू किया जा सके। हमें अपने रिएक्टरों के लिए अपने देश में ही यूरेनियम का उत्पादन करना होगा। हमें यूरेनियम का उत्पादन बढ़ाना होगा और हमने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।”

बसु कहते हैं, “सभी बड़े परमाणु संयंत्रों पर पिछले कुछ समय से काम शुरू हो चुका है। मैं उन्हें संचालित होते देखना चाहता हूं।”

1000 मेगावाट क्षमता वाले कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के दोबारा शुरू होने में हो रही देरी के बारे में बसु ने बताया, “इस संयंत्र को स्थापित होने के बाद पहली बार वार्षिक मेनटेनेंस के लिए अभी बंद किया गया है। संयंत्र से जुड़े मुद्दों का अभी मैं अध्ययन करूंगा और देखूंगा देखूंगा कि इस मसले को कैसे सुलझाया जा सकता है।”

पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित बसु ने कहा कि कई तरह की जांच की जानी है और कुछ उपकरणों को बदलना है। उन्होंने कहा की वह चाहते हैं कि यह संयंत्र जल्द से जल्द काम करना शुरू करे।

गौरतलब है कि बसु भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) बोर्ड के सदस्य भी हैं, जो कुडनकुलम में ही रूस के उपकरणों से 1000 मेगावॉट के दो रिएक्टरों का निर्माण कर रही है।

बसु ने उम्मीद जताई कि कुडनकुलम परियोजना की पहली इकाई का संचालन इसी साल फिर से शुरू हो जाएगा, वहीं दूसरी इकाई अगले वर्ष काम शुरू कर पाएगी।

इसके अलावा बसु कुडनकुलम से 70 किलोमीटर दूर कलपक्कम में स्थापित किए जाने वाले 500 मेगावॉट के प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रियेक्टर (पीईबीआर) से जुड़ी समस्याएं भी देख रहे हैं।

बसु का कहना है कि देश में यूरेनियम के उत्पादन को बढ़ाना उनकी पहली प्राथमिकता है।

परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) को परमाणु संबंधित विषयों पर देश की स्वायत्त संस्था बनाए जाने के सवाल पर बसु ने कहा कि इसके लिए सबसे पहले संसद को एक विधेयक पारित करना होगा।

हालांकि बसु ने यह भी कहा कि व्यावहारिक तौर पर इस समय एईआरबी एक स्वायत्त संस्था के रूप में ही काम कर रही है।

भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (बीएआरसी) के निदेशक के तौर पर अपने पिछले कार्यकाल को याद करते हुए बसु ने कहा कि उस दौरान कई बड़ी परियोजनाएं पूरी हुईं और इस समय परिचालित हो रही हैं।

बसु के ही कार्यकाल में बीएआरसी ने परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्बी अरिहंत और पीएफबीआर को ईंधन उपलब्ध कराया।

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