नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि भारत एचआईवी और एड्स के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के प्रति और विशेष रूप से वर्ष 2030 तक एड्स महामारी को समाप्त करने के संयुक्त संकल्प में अफ्रीकी देशों की मदद के लिए आगे आने के प्रति कटिबद्ध है।
नड्डा ने शुक्रवार को यहां ‘2030 तक एड्स महामारी की समाप्ति’ विषय पर आयोजित भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत सुरक्षित, किफायती और सर्व सुलभ एंटीरेट्रोवाइरल दवाइयां मुहैया कराने में अफ्रीका के साथ साझेदारी कर काफी प्रसन्न है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दवाओं से जुड़ी जिन्स की सुरक्षा पर निश्चित तौर पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है कि जीवन रक्षक दवाओं तक निरंतर एवं निर्बाध पहुंच के लिए ट्रिप्स संबंधी लचीलेपन का पूर्ण दोहन किया जाए, क्योंकि यह गरीबों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है।
नड्डा ने कहा कि हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि नए वैज्ञानिक अनुसंधान और स्वास्थ्य के लाभ समुदायों को आसानी से मिल सकें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एचआईवी और स्वास्थ्य से जुड़ी जिन्स सुरक्षा पर संयुक्त भारत-अफ्रीका सहयोग की रूपरेखा तैयार करने संबंधी केन्या के राष्ट्रपति उहूरू केन्याता के विचार की भी सराहना की।
नड्डा ने एड्स के खिलाफ जंग में युवाओं को शामिल करने और नई पीढ़ी में नेतृत्व विकसित करने संबंधी सुझाव का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की जनता को एआरटी उपलब्ध कराने से जुड़ी उसकी सफलता की गाथा के साथ-साथ माता-पिता से बच्चे को संचरण की रोकथाम (पीपीटीसीटी) कार्यक्रम ऐसी खास पहल हैं, जिन्हें भारत भी अपने यहां शुरू कर सकता है।
केन्या के राष्ट्रपति केन्याता ने अपने संबोधन में स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी जिन्स सुरक्षा, एचआईवी से प्रभावित व संक्रमित लोगों तक जीवन रक्षक दवाओं की निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने, अफ्रीकी देशों में एड्स महामारी की समाप्ति के लिए सरकारी प्रतिबद्धता की अहमियत और दवा उत्पादन एवं क्षमता सृजन में साझेदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों जैसे भारत और अफ्रीका के बीच संचालनात्मक सहयोग की रूपरेखा तैयार करने पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि भारत जीवन रक्षक दवाओं के उत्पादन में अपने ज्ञान एवं विशेषज्ञता के जरिये अफ्रीकी देशों की मदद कर सकता है, ताकि उनकी घरेलू दवा उत्पादन क्षमता बढ़ सके।
मलावी, उगांडा, रवांडा और टोगो के प्रतिनिधि मंत्रियों ने भी कुछ इसी तरह के विचार व्यक्त किए। यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक माइकल सिडबे ने अफ्रीकी देशों में एड्स/एचआईवी की दवाओं के स्थानीय उत्पादन की अहमियत और इसे संभव कर दिखाने में भारत की अग्रणी एवं भागीदारी वाली भूमिका पर भी विशेष जोर दिया।
अफ्रीकी संघ आयोग के उपाध्यक्ष एरासटस मवेंचा ने कहा कि भारत और अफ्रीका एक-दूसरे से सीखने में समान आकांक्षाओं और अनूठे अनुभवों को साझा करते हैं। उन्होंने एड्स के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद की सराहना की और क्षमता सृजन, किफायती दवाओं की आपूर्ति एवं तकनीक को साझा करने के जरिये अफ्रीका में स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला।