नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। छह वामपंथी पार्टियों ने मंगलवार को सांप्रदायिकता विरोधी अभियान छेड़ने का ऐलान किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा फैलाए जा रहे और भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के संरक्षण में चल रहे सांप्रदायिक नफरत के हमलों’ के खिलाफ अभियान पहली से 6 दिसंबर तक चलेगा।
माकपा की केंद्रीय समिति की चार दिवसीय बैठक के बाद जारी बयान में यह जानकारी दी गई। बैठक 16 नवंबर को खत्म हुई।
माकपा के साथ-साथ इस अभियान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया (कम्युनिस्ट) शामिल होंगी।
बयान में कहा गया है कि पूरे देश में आरएएसएस और भाजपा से संबद्ध हिंदू जेहादी संगठन सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहे हैं और प्रधानमंत्री इन पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इससे देश के धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक आधार को चोट पहुंची है और धार्मिक अल्पसंख्यकों में भय बढ़ा है।
बयान में बिहार चुनाव में भाजपा को करारी मात देने के लिए मतदाताओं का शुक्रिया अदा किया गया है। इसमें कहा गया है कि मतदाताओं ने विभाजनकारी मुद्दों को खारिज कर दिया।
बयान में कहा गया है, “बिहार का नतीजा पूरे देश में दक्षिणपंथी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करेगा।”
बयान में पंजाब के ‘खतरनाक राजनैतिक घटनाक्रम’ पर चिंता जताई गई और कहा गया कि इनकी वजह से राज्य में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।
माकपा ने मोदी सरकार की इस बात के लिए तीखी आलोचना की है कि सरकार भारत में विदेशी पूंजी को एकतरफा तरीके से बढ़ावा देकर देश के संसाधनों और बाजार की लूट को बढ़ावा देने के कदम उठा रही है।
बयान में कहा गया है कि आम लोगों की पहुंच से सामान्य दाल-रोटी भी दूर हो गए हैं।
बयान में भारत सरकार से मांग की गई है कि नेपाल को सामानों की आपूर्ति तत्काल शुरू की जाए। इसमें कहा गया है कि नेपाल के नए धर्मनिरपेक्ष संविधान के खिलाफ भारतीय हिंदुत्ववादी ताकतों के समर्थन से चल रहा मधेशी आंदोलन नेपाल के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन की वजह बना है।
बयान में कहा गया है, “भारत-नेपाल सीमा पर भाजपा सरकार द्वारा की गई नाकेबंदी ने नेपाल को पंगु बना देने वाला असर डाला है। इसकी वजह से नेपाल में भारत विरोधी भावनाएं तेजी से भड़की हैं।”