इटानगर/गुवाहाटी, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। अरुणाचल प्रदेश में बीते दो दिन से चल रहे राजनैतिक नाटक का गुरुवार को उस समय पटाक्षेप हो गया जब गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने राज्य विधानसभा की कार्यवाही पर पहली फरवरी तक के लिए रोक लगा दी।
इटानगर/गुवाहाटी, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। अरुणाचल प्रदेश में बीते दो दिन से चल रहे राजनैतिक नाटक का गुरुवार को उस समय पटाक्षेप हो गया जब गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने राज्य विधानसभा की कार्यवाही पर पहली फरवरी तक के लिए रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय की न्यायाधीश ऋषिकेश राय की एकल पीठ ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नाबाम रेबिया की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
रेबिया ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्यपाल जे.पी.राजखोवा ने मुख्यमंत्री नाबाम टुकी और उनके मंत्रिमंडल की सलाह के बिना विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुला लिया। उन्होंने ऐसा एक राजनैतिक दल के इशारे पर किया।
अदालत में मामले की अगली सुनवाई अगले साल 2 फरवरी को होगी।
उधर, अरुणाचल में राजनैतिक नाटक जारी रहा। एक होटल के कांफ्रेंस हाल में विधानसभा उपाध्यक्ष टी.नोरबु थोंगडोक, कांग्रेस के 20 बागी विधायकों, भाजपा के 11 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने ‘शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही’ में हिस्सा लिया।
विपक्ष के नेता भाजपा के तामियो तागा ने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा जिसे स्वीकार कर लिया गया।
उन्होंने बागी कांग्रेस विधायक कालिखो पुल का नाम अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया।
इसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों का नाम प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने के लिए पुकारा लेकिन वे मौजूद नहीं थे।
प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद उपाध्यक्ष ने सदन को स्थगित कर दिया।
यह ‘शीतकालीन सत्र’ होटल के हाल में इसलिए हुआ क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर प्रशासन ने विधानसभा को सील कर दिया है। मुख्यमंत्री टुकी और कांग्रेस के 25 विधायकों ने इस सत्र को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है।
टुकी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मामले में दखल देने की मांग की।