स्तना, 24 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अभी लोग बड़वानी और श्योपुर कांड को भूले भी नहीं हैं कि सतना जिले में 32 मरीजों ने रेटिना में इंजेक्शन लगने के बाद दिखाई न देने की शिकायत की है।
जिलाधिकरी संतोष मिश्रा ने मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। तीन नेत्र विशेषज्ञों की टीम प्रभावित मरीजों की आंखों की जांच करेगी।
सतना जिले के चित्रकूट में स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में 29 दिसंबर को 32 नेत्र रोगियों की आंखों की जांच की गई थी और उसके अगले दिन उनके रेटिना में इंजेक्शन लगाया गया था। इंजेक्शन लगने के कुछ ही घंटे बाद मरीजों ने आंख से दिखाई न देने की शिकायत की। तब चिकित्सकों ने दोबारा इंजेक्शन लगाया गया और कहा कि कुछ दिन इंतजार करो, दिखाई देने लगेगी। मगर तीन हफ्ते बाद भी रोशनी नहीं लौटी।
मरीजों का कहना है कि आंखों से न दिखने की शिकायत पर उन्हें अगल-अलग वार्ड में भर्ती कर दिया गया। बाद में दवा लेते रहने के लिए कहकर छुट्टी दे दी गई। प्रभावित मरीज शनिवार (23 जनवरी) को फिर जांच के लिए अस्पताल पहुंचे तो उन्हें चिकित्सकों ने जांच के बाद आंखों में खराबी आ जाने की बात कहकर लौटा दिया।
चित्रकूट अस्पताल में इलाज कराने वाले 32 मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने के मामले पर आईएएनएस ने रविवार को जिलाधिकारी संतोष मिश्रा से चर्चा की, तो उन्होंने कहा कि सीएमएचओ को इस मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। तीन नेत्र विशेषज्ञों की टीम भी गठित कर दी गई है, जो प्रभावित मरीजों की आंखों की जांच करेगा और अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लेगा।
इससे पहले, नवंबर में बड़वानी जिले में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 65 मरीजों की आखों की रोशनी चली गई थी। इसके बाद श्योपुर में भी पांच मरीजों की आखों की रोशनी चली गई। ये दोनों घटनाएं सरकारी अस्पताल में हुई थीं। मगर सतना जिले का नेत्र चिकित्सालय एक टस्ट द्वारा संचालित अस्पताल है।