नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में नर्सरी दाखिले में मैनेजमेंट कोटे से संबद्ध आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। आप सरकार ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा मैनेजमेंट कोटे को बहाल करने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है।
नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में नर्सरी दाखिले में मैनेजमेंट कोटे से संबद्ध आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। आप सरकार ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा मैनेजमेंट कोटे को बहाल करने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है।
मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी और न्यायाधीश जयंतनाथ की खंडपीठ ने एकल पीठ के मैनेजमेंट कोटा बहाल करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया।
न्यायाधीश मनमोहन ने 4 फरवरी को अंतरिम आदेश में दिल्ली सरकार के 6 जनवरी के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी थी जिसमें नर्सरी दाखिले में मैनेजमेंट कोटे और 11 अन्य मानदंडों को रद्द कर दिया गया था। न्यायाधीश मनमोहन ने कहा था कि निजी संस्थाओं को प्रशासन में स्वायत्तता का अधिकार हासिल है, इसमें बच्चों के दाखिले का अधिकार भी शामिल है।
अपनी अपील में आप सरकार ने कहा कि उसने यह फैसला ‘निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की स्वायत्तता में दखलंदाजी के मकसद से नहीं किया है। यह शुरुआती कक्षा में दाखिले को निष्पक्ष, तर्कसंगत, पारदर्शी और गैर उत्पीड़क बनाने के मकसद से किया गया है।’
सरकार के वकील ने कहा, “बड़े पैमाने पर यह आरोप लगता रहा है कि मैनेजमेंट कोटे का दुरुपयोग हो रहा है। मैनेजमेंट कोटे के मामले में किसी मान्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूलों के पास इस कोटे के तहत किए जा रहे दाखिलों का विवरण नहीं है।”
उन्होंने कहा, “शिक्षा विभाग, दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के तहत इस बात के लिए सक्षम है कि वह 6 जनवरी जैसा आदेश पारित कर सके।”
सरकार ने कहा कि मैनेजमेंट कोटे की व्यवस्था दिल्ली में स्कूली शिक्षा के विकास के लिए घातक है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि 6 जनवरी का आदेश कानून के किसी प्राधिकार के बिना और उप राज्यपाल नजीब जंग की मंजूरी के बिना लागू किया गया। यह गांगुली समिति की उन अनुशंसाओं के भी खिलाफ है जो निजी स्कूलों को दाखिले के बारे में अपने दिशा-निर्देश बनाने की इजाजत देते हैं।
फिलहाल स्कूल 20 फीसदी या इससे अधिक सीट मैनेजमेंट कोटे के तहत रखते हैं। 25 फीसदी सीट आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। बाकी बची सीटों पर अन्य बच्चों को दाखिला दिया जाता है।