रायपुर, 18 फरवरी (आईएएनएस)। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि और दंडी स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के राज्य अतिथि का दर्जा लौटा दिया है। उन्होंने राज्य अतिथि के दर्जे की सुविधा के चलते साधुता व सहजता में बाधा उत्पन्न होने को इसका कारण बताया है।
रायपुर, 18 फरवरी (आईएएनएस)। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि और दंडी स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के राज्य अतिथि का दर्जा लौटा दिया है। उन्होंने राज्य अतिथि के दर्जे की सुविधा के चलते साधुता व सहजता में बाधा उत्पन्न होने को इसका कारण बताया है।
श्री शंकराचार्य जनकल्याण न्यास के ट्रस्टी चंद्रप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि साधुता व सहजता की रक्षा के लिए ससम्मान राज्य अतिथि का दर्जा वापस किया है। राज्य सत्कार अधिकारी और प्रवास के दौरान रहने वाले जिलों के संबंधित जिला अधिकारी व पुलिस अधिकारी को इसकी जानकारी दी गई है।
इस मसले पर श्री शंकराचार्य जनकल्याण न्यास ने छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारियों को पत्र भेजा है। एक दिन पहले ही मंगलवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कवर्धा जिले के मोहतरा गांव में साईं बाबा का पोस्टर देख नाराज होकर बिना कार्यक्रम किए लौट गए थे।
स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती अपने पांच दिन के प्रवास पर इन दिनों छत्तीसगढ़ में हैं। वे कवर्धा में श्री राम जानकी मंदिर के कुंभाभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। इसके अलावा बेमेतरा, दुर्ग व रायपुर जिले में भी उनके कई कार्यक्रम हैं।
बुधवार को स्वामी की ओर से श्री शंकराचार्य जनकल्याण न्यास ने छत्तीसगढ़ शासन के राज्य सत्कार अधिकारी समेत कवर्धा, बेमेतरा, दुर्ग और रायपुर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को राज्य अतिथि का दर्जा लौटाने संबंधी पत्र भेजा गया।
पत्र में उन्होंने लिखा है ‘न्यास द्वारा मांग किए जाने के बाद स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती ज्योतिर्मठ, बद्रिकाश्रम हिमालय को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया था। इसे स्वीकार किया गया था। राज्य अतिथि के दर्जे व सुविधाओं का उपयोग करते हुए स्वामी जी ने यह अनुभव किया कि ये उनकी साधुता व सहजता में बाधा डाल रही है। इसलिए साधुता व सहजता की रक्षा के लिए ससम्मान राज्य अतिथि का दर्जा वापस कर रहे हैं। इसे आज व अभी से समाप्त किया जाए।’