नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। भारत के रियल्टी क्षेत्र को आनेवाले बजट से काफी पारदर्शिता और हितैषी नीतियों वाले बदलाव की उम्मीद है। इनमें स्वतंत्र नियामक, एकल खिड़की मंजूरी और कर छूट की सीमा बढ़ाना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
बजट सत्र में रियल स्टेट विधेयक के पारित होने की उम्मीद है, जिसमें अब तक 20 संशोधन किए गए हैं। इसमें सभी रियल स्टेट एजेंटों के लिए जो प्लॉट, अपार्टमेंट या घर बेचना चाहते हैं, रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (आरईआरए) में पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि बिना कंपलीशन प्रमाणपत्र के चल रही परियोजनाओं को नियामक के पास पंजीकरण करानी होगी, ताकि उन पर नजर रखी जा सके।
एसआरएस समूह के चेयरमैन अनिल जिंदल का कहना है, “हमें उम्मीद है कि इस साल रियल स्टेट रेगुलेटरी विधेयक पारित हो जाएगा जिसकी सख्त जरूरत है। यह काफी समय से लंबित है। इससे प्रणाली में ज्यादा पारदर्शिता आएगी और कपट से बचने में मदद मिलेगी तथा धोखाधड़ी और गलत तरीकों से निजात मिलेगी।”
रियल स्टेट उद्योग एक खिड़की मंजूरी का बहुत उम्मीद के साथ इंतजार कर रहा है। इससे लागत घटाने में और उसका फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। परियोजना के आकार के मुताबिक अब डेवलपरों को महज 6-8 शर्तो को ही पूरा करना पड़ेगा, क्योंकि पर्यावरण मंत्रालय ने शर्तो की संख्या 30 से घटा कर काफी कम कर दिया है।
अक्षय के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी टी. चिट्टी बाबू कहते हैं, “एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली लागू होने से उद्योग को काफी राहत मिलेगी और इसका फायदा उपभोक्ताओं को भी होगा।”
रियल स्टेट क्षेत्र आवास ऋण के लिए कर छूट सीमा को बढ़ाने की मांग कर रही है। वर्तमान में उपभोक्ता केवल 2 लाख रुपये का कर छूट हासिल कर सकते हैं, अगर उनके द्वारा खरीदी गई संपत्ति को बिल्डर 3 साल के अंदर पूरा कर देता है। अगर संपत्ति के पूरा होने में तीन साल से अधिक का समय लगता है तो उपभोक्ता को कर छूट से मिलने वाला फायदा घटकर 30,000 हो जाता है।
एक्सपेरियन डेवलपर्स के चेयरमैन हेमंत टिकू का कहना है, “इस बजट में कर छूट सीमा को बढ़ाना चाहिए, ताकि लोगों को घर के लिए कर्ज लेने में सुविधा हो। इसके अलावा किराये, स्टाम्प ड्यूटी, संपत्ति के हस्तांतरण, डिविडेंड के वितरण आदि को कर छूट के दायरे में शामिल करना चाहिए।”
वहीं, सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी की घोषणा का रियल्टी क्षेत्र ने स्वागत किया है। हाउस ऑफ हीरानंदानी के चेयरमैन सुरेंद्र हीरानंदानी का कहना है कि इस घोषणा से खरीदारों और रियल स्टेट डेवलपरों दोनों का मनोबल बढ़ा है।
हीरानंदानी कहते हैं, “रियल्टी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कर प्रणाली में बदलाव कर सरल बनाना चाहिए, ताकि इस क्षेत्र में निवेश आए।”