चीन के सालाना सत्र के समापन बैठक के अवसर पर वहां की राष्ट्रीय संसद में बुधवार को इस कानून पर मतदान हुआ।
इस नए कानून के विधायी सत्र में पारित होने के बाद सितंबर से इसे अमल में लाया जाएगा। इससे परोपकारी संगठनों को धन उगाहने और अपनी गतिविधियां चलाने के लिए नियम आसान हो जाएंगे और इस क्षेत्र के लिए कर छूट का वादा भी किया गया है। साथ ही उनके आंतरिक प्रबंधन का पर्यवेक्षण भी कड़ाई से किया जा सकेगा।
वरिष्ठ बांग्लादेशी पत्रकार मुहब्बुर राशिद ने बताया, “हम चीनी नेतृत्व की उनकी गरीबी मिटाने को लेकर परोपकारी गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के प्रयासों की अत्यधिक सराहना करते हैं।”
उन्होंने कहा कि इस कानून से ज्यादा से ज्यादा उद्यमी और धनी लोग गरीबों की मदद के लिए परोपकारी परियोजनाओं को अधिक समर्थन देने आगे आएंगे।
राशिद जो अब एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक फाइनेंसियल एक्सप्रेस में काम करते हैं, ने कहा, “मुझे लगता है कि चीन में परोपकारी गतिविधियों को बढ़ावा मिलने से निकट भविष्य में पूरी दुनिया को फायदा होगा।”
मुहब्बुर राशिद का समर्थन करते हुए स्थानीय विकास संगठन ग्रीन बेल्ट न्यास के महानिदेशक जसीम कताबी ने कहा कि इस कानून से निश्चित रूप से अमीरों और उद्यमों को गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आने को बढ़ावा मिलेगा।
ढाका स्थित स्वैच्छिक संगठन द वर्ल्ड रेमेन के अध्यक्ष सैफुल आजम ने इस कानून की प्रशंसा करते हुए कहा, “हमें लगता है कि अब हम चीनी परोपकारी संस्थाओं और उद्यमियों के साथ अधिक निकटता से काम कर पाएंगे।”
बांग्लादेश में स्थित एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन बीआरएसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह जानना सुखद है कि चीनी सरकार ने कंपनियों को अपने मुनाफे का हिस्सा परोपकारी कार्यो के लिए दान करने पर कारपोरेट आयकर में छूट दी है।”