नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। लोकसभा में सोमवार को हास्य और व्यंग्य का मिलाजुला रूप उस समय देखने को मिला, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भोला सिंह ने कॉरपोरेट घरानों द्वारा खासकर तेल और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी कंपनियों द्वारा मौजूदा सरकार सहित सभी सरकारों पर पड़ने वाले ‘दवाब’ का मुद्दा उठाया।
बेगूसराय के इस सांसद के आरोपों को खारिज करते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने उन्हें आश्वस्त किया कि भाजपानीत गठबंधन सरकार किसी के दवाब में नहीं है।
प्रधान ने कहा, “हमारे सामने कोई मजबूरी नहीं है। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि कृपया याद रखें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।”
मंत्री के बयान के जवाब में भोला सिंह ने कहा, “मुझे मालूम है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। लेकिन मुझे आप पर भी भरोसा है। आप तो धर्मेद्र हैं, प्रधान भी हैं, और आपके नाम का मतलब भी प्रधान ही है।”
इसके बाद सदन में हंसी का फव्वारा छूट गया।
तेल क्षेत्र में कई विवाद पंचाट में जाने को लेकर पूछे गए अनुपूरक प्रश्न में भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि “कई बार ऐसा लगता है कि सरकार खुद भी व्यापारिक घरानों के दवाब में रहना चाहती है।”
भोला सिंह ने पार्टी के केंद्रीय नेताओं पर पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी निशाना साधा था। वे यह जानना चाहते थे कि क्या हाईड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने ठेकेदारों के साथ चल रहे तेल क्षेत्र के विवादों का हल करने के लिए संपर्क साधा है।
इस प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार किसी तरह के दवाब या प्रभाव में नहीं है। हालांकि पिछली सरकार के दौरान ऐसा देखा गया था।
इस पर सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया तो मंत्री ने कहा, “बेहतर है कि इस मोड़ पर मैं इसकी गहराई में नहीं जाऊं।”
मंत्री ने कहा कि कानूनी प्रक्रियाओं में समय लगता है। उन्होंने कहा, “सरकार ने पंचाट की तरफ से सलाहकारों की भर्ती के लिए डीजीएच की शक्ति में बढ़ोतरी की है।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने हाइड्रोकार्बन खोजों को लेकर ‘छूट, विस्तार और स्पष्टीकरण’ का नीतिगत ढांचा तैयार किया है।