नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रोहित वेमुला के भाई को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 मई को सुनवाई करेगा। रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोध का छात्र था और दलित था। उसने गत 17 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी।
उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई की तिथि 17 मई तय की। याचिका में दिल्ली सरकार के फैसले को अवैध, एकपक्षीय, अभिप्रेरित, भेदभावपूर्ण और अनुचित बताया गया है। कहा गया है कि बगैर कानूनी सहमति, नीति, व्यवस्था और मार्गदर्शन के अन्यायपूर्ण ढंग से विवेक का इस्तेमाल किया गया है।
याचिका में हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला के भाई राजा वेमुला को लिपिक की नौकरी देने के फैसले को लेकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के विवेक पर सवाल उठाया गया है।
रोहित ने 17 जनवरी को आत्महत्या की तो उसके बाद लंबे समय तक राजनीतिक हंगामा हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दलित समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रह पालने का आरोप लगा।
यह लोकहित याचिका अधिवक्ता अवध कौशिक ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि वेमुला की मौत हैदराबाद विश्वविद्यालय में आत्महत्या करने से हुई। उसका दिल्ली से कोई लेना देना नहीं है, न ही वह दिल्ली सरकार की नौकरी में था। इसलिए उसके भाई को नौकरी देने का यह फैसला और कुछ नहीं पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित, पूर्वाग्रह से ग्रस्त और गैर कानूनी है। इसलिए ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
याचिका में कहा गया है कि यह मामला न तो किसी विशेष श्रेणी का है और न ही किसी तरह की शहादत या किसी अच्छे कारण के लिए जान न्योछावर करने का है। यह महज हैदराबाद में एक व्यक्ति की आत्महत्या का मामला है। इस तरह आप सरकार के इस फैसले में जनकल्याण या तार्किकता नहीं है।
याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि यदि दिल्ली सरकार के मंत्रिमडल के फैसले को आगे बढ़ाया गया तो यह एक गलत मिसाल कायम करेगा।
याचिका में कहा गया है कि सरकार का फैसला कानून और जननीति का स्पष्ट उल्लंघन है। यह जनता के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण है। दिल्ली में बहुत सारे युवा हैं, विशेषकर वे जो अपनी मेधा के आधार पर नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार के इस निर्णय से वे वंचित हो रहे हैं।