वाशिंगटन, 27 मई (आईएएनएस)। भारतीय कंपनियों को कंसोलिडेटेड एप्रोप्रिएशंस एक्ट-2016 के मुताबिक कुछ एच-बी आवेदकों के लिए अतिरिक्त 4,000 डॉलर और एल-1 आवेदकों के लिए अतिरिक्त 4,500 डॉलर का भुगतान करना होगा। यह बात शुक्रवार को अमेरिका नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) द्वारा प्रकाशित विवरण में कही गई।
यूएससीआईएस ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा है कि दिसंबर 2015 राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा हस्ताक्षरित कानून में कुछ निश्चित एच-1बी और एल-1 आवेदकों के लिए शुल्क बढ़ा दिया गया है।
यह शुल्क अमेरिका में ऐसी कंपनियों पर लागू होता है, जिसके कर्मचारियों की संख्या 50 या उससे अधिक हो और एच-1बी या एल (एल-1ए और ए-1बी सहित) कर्मचारियों में 50 फीसदी से अधिक गैर-आव्रजन दर्जा वाले हों।
इस अतिरिक्त शुल्क के अलावा कंपनियों को आधारभूत प्रसंस्करण शुल्क, धोखाधड़ी रोकथाम और जांच शुल्क, अमेरिकी प्रतिस्पर्धात्मकता और कार्यबल सुधार अधिनियम-1998 शुल्क (जहां जरूरी हो) और प्रीमियम प्रोसेसिंग शुल्क (यदि लागू हो) का भी भुगतान करना होगा।
एच-1बी वीजा के तहत अमेरिकी कंपनी विशिष्ट सेवाओं में विदेशी पेशेवरों को नियुक्ति कर सकते हैं, जबकि एल-1 वीजा अमेरिका और दूसरे देशों में कार्यालय रखने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी के कर्मचारियों के लिए होता है।