चंबा। चौरासी मंदिर परिसर के आसपास बढ़ती हलचल से पुरातत्व विभाग की नींद भी शायद खुल गई है और उसे परिसर में स्थित ऐतिहासिक महत्व के मंदिरों की स्थिति जानने की याद आ गई है।
वीरवार को चौरासी परिसर में स्थित मणिमहेश मंदिर की दीवारों पर रासायनिक पॉलिस का कार्य शुरू हो गया है। विभागीय वैज्ञानिक साहल की देख रेख में यह कार्य शुरू कर दिया गया है। जिसमें कि अकुशल मजदूरों को इस कार्य में शामिल किया गया है। पुरातत्व विभाग के विज्ञान के शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक विनायक साहल बताते हैं कि परिसर में मौजूद पुरातत्व महत्व के सभी मंदिरों की लकड़ी व पत्थरों को बचाने के लिए यह पॉलिस किया जा रहा है। जिससे इनकी आयु बढ़ जाती है और जलवायु परिवर्तन, हवा, आद्रता, धूप, पराबैंगनी विकिरणों व वर्षा के पानी में मौजूद रसायनों का असर कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में लगे सभी कर्मचारी प्रशिक्षित भले ही न हो, लेकिन वे इस कार्य को पहले भी कुशलता पूर्वक कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन पुरातत्व महत्व के स्मारकों की देख-रेख के लिए विभाग के पास कर्मचारियों व अधिकारियों की बेहद कमी है। उन्होंने स्थानीय कर्मचारियों की कार्यप्रणाली और कार्यकुशलता पर संतोष जताते हुए कहा कि अब यह कार्य मात्र सरकार व विभाग का ही नहीं रह गया है। अपने इतिहास के संरक्षण की जिम्मेदारी आम नागरिकों की भी है। लिहाजा परिसर में खेल व व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगनी अनिवार्य है। गौरतलब हो कि तीन दिन पूर्व ही चौरासी मंदिर में अस्थायी दुकानें लगाने वालों को विभागीय अधिकारी ने यहां से हटवा दिया था। उक्त कदम का स्थानीय लोगों ने भी स्वागत किया है।