नई दिल्ली: कोयला आवंटन की ड्राफ्ट रिपोर्ट में दखल पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। नौ पेज के इस हलफनामे में कई अहम बातें हैं। सीबीआई ने माना है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट में कानून मंत्रालय और पीएमओ के सुझाव पर कई बदलाव किए गए हैं।
बैठक कानूनमंत्री के चैंबर में हुई थी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सीबीआई ने हलफनामे में कहा गया कि कानून मंत्री के साथ बैठक में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल हरीन रावल और अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती मौजूद थे। स्थिति रपट में बदलाव अटार्नी जनरल और प्रधानमंत्री कार्यालय की सलाह से किए गए।
एक अहम बदलाव यह बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में आवंटन से जुड़े पैरा को पूरी तरह हटा दिया गया जबकि कोयला विवाद में सबसे ज्यादा सवाल आवंटन पर ही उठे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के इस हलफनामे से सरकार कुछ और घिर सकती है। विपक्ष पहले ही इस मामले में कानून मंत्री और प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगता रहा है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और सरकार को फटकार लगाई थी कि उसकी वजह से जांच की पूरी प्रक्रिया पलट गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कई सवालों के जवाब मांगे थे। पूछा था कि सरकार के दखल की बात उससे क्यों छुपाई गई। किन−किन लोगों ने किस तरह के दखल दिए। सीबीआई के हलफनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिपण्णी करते हुए कहा था कि सीबीआई सरकार से निर्देश न ले। राजनीतिक आकाओं के कहने पर अमल न करे। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि स्टेटस रिपोर्ट साझा क्यों की गई। साथ ही पूछा गया कि 12 मार्च की सुनवाई में सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने यह क्यों कहा कि रिपोर्ट किसी को दिखाई नहीं गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि 26 अप्रैल को दायर हलफनामे में ड्राफ्ट रिपोर्ट में किए गए बदलाव के ब्योरे क्यों नहीं दिए गए, क्या रिपोर्ट कानूनमंत्री और दो अधिकारियों के अलावा किसी और को दिखाई गई है।