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अडानी पर सरकार ने तोड़ी चुप्पी,पढ़िए क्या कहा ?

February 4, 2023 7:55 pm by: Category: व्यापार Comments Off on अडानी पर सरकार ने तोड़ी चुप्पी,पढ़िए क्या कहा ? A+ / A-

अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ ‘स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी’ के आरोपों के बाद समूह के शेयरों में गिरावट शुरू होने के बीच से अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों और बीमाकर्ताओं का जोखिम ‘अनुमति सीमा’ (Permitted Limits) के भीतर है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समाचार चैनल ‘नेटवर्क18’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘एसबीआई और एलआईसी दोनों ने विस्तृत बयान जारी किए हैं. उनके अध्यक्ष और सीएमडी खुद सामने आए हैं. उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके द्वारा दिया गया कर्ज अनुमति सीमा के भीतर है और वे अभी भी – मूल्यांकन में गिरावट के साथ – लाभ में हैं.’

शेयर बाजारों में आए उतार-चढ़ाव के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि वे उच्च स्तर पर बने रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘बजट का बाजार पर तत्काल प्रभाव और उसके बाद मान लीजिए कि किसी भी कारण से यह पिछड़ गया तो मुझे लगता है कि अगले कुछ दिनों में बजट का प्रभाव बाजारों को ऊंचा बनाए रखेगा.’

वित्त मंत्री के अनुसार, ट्विन बैलेंस शीट समस्या से गुजरने के बाद बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति अभी ‘सहज’ है. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र आज एक आरामदायक स्तर पर है. उनका एनपीए बिल्कुल निचले स्तर पर आ गया है. (कर्ज की) वसूली हो रही है. उनकी स्थिति बहुत अच्छी है, जो इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि जब वे बाजार में पैसा जुटाने जाते हैं, तो वे पूरी तरह से सहज होते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अडानी समूह अभी तक ‘टू बिग टू फेल’ श्रेणी में नहीं आया है. हालांकि, अधिकारी ने कहा कि अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल और इसके प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) की प्रगति को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को हस्तक्षेप करना चाहिए था.

हालांकि, अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने नियामकों को एक या दूसरे तरीके से कार्य करने के लिए कहने की आवश्यकता महसूस नहीं की. अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘पहले यह एक कंपनी, एक समूह के बारे में है. कोई प्रणालीगत जोखिम नहीं था और यह नियामकों के लिए है कि वे अपने दम पर कार्रवाई करें.’

अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘एलआईसी का अडानी समूह के प्रति कर्ज लगभग 1 प्रतिशत है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए भी 1 प्रतिशत से कम है. इसलिए, समूह को ‘टू बिग टू फेल’ नहीं कहा जा सकता है, फिर भी आईएल एंड एफएस (सरकारी वित्त पोषित बुनियादी ढांचा विकास और वित्त कंपनी) के विपरीत यह मुद्दा सत्यम की घटना के समान अधिक प्रतीत होता है, क्योंकि अंतर्निहित परिसंपत्तियां अभी भी राजस्व-अर्जक परिसंपत्तियां हैं. अब हाल की घटनाओं के साथ नियामक इस तरह के मुद्दे पर अधिक सतर्क होंगे. सेबी जैसे नियामकों को पहले कदम उठाना चाहिए था.’

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