नई दिल्ली : भाजपा ने वरिष्ठ नेता राम जेठमलानी को ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप में छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से मंगलवार को निष्कासित कर दिया। पार्टी की शीर्ष नीति निर्णायक इकाई केन्द्रीय संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सदस्य जेठमलानी को पार्टी से निष्कासित किए जाने संबंधी आज जारी पत्र में भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 27 मई को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आपको पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित किए जाने का सर्वसम्मति से निर्णय किया गया है। पत्र में कहा गया कि 26 नवंबर 2012 को दिए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब में जेठमलानी ने कई जवाब दिए और संवाद किए, लेकिन पार्टी उनसे संतुष्ट नहीं है।
इसमें कहा गया कि आपके सभी जवाबों और अन्य संवादों पर विचार करने के बाद संसदीय बोर्ड सर्वसम्मति से इस निर्णय पर पहुंचा है कि आपने अनुशासन तोड़ा है और बोर्ड आपको पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के निष्कासित करता है। राम जेठमलानी ने पिछले साल नवंबर में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी पर अनियमितताओं के आरोप लगने पर उनके खिलाफ मुहिम चलाई थी और उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। सार्वजनिक रूप से गडकरी की लगातार आलोचना किए जाने पर पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा था कि क्यों न उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया जाए।
जेठमलानी के जवाब से संतुष्ट नहीं होते हुए पत्र में कहा गया कि आप अपने जवाबों में पार्टी को शर्मिन्दगी की स्थिति में डालने वाले अपने बयानों के बारे में पूछे गए सवालों का उत्तर देने में असफल रहे हैं। इसमें कहा गया कि आपने लोकसभा में विपक्ष की नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष के ऊपर लगाए गए अपने आरोपों के संबंध में भी पार्टी के प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए हैं। पत्र में कहा गया कि उन्होंने कारण बताओ नोटिस का संतोषजनक जवाब देने की बजाय यह बयान देकर पार्टी के प्रभुत्व को चुनौती दी कि पार्टी को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है।
इसमें जेठमलानी पर यह आरोप भी लगाया गया कि 6 मई 2013 को उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों पर संसदीय समिति के सदस्यों के निर्वाचन पर पार्टी के व्हिप का पालन नहीं किया।