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जोशीमठ:इसरो ने धंसाव संबंधी रिपोर्ट वापस ली,सरकार ने संस्थानों के मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई

January 15, 2023 7:52 pm by: Category: भारत Comments Off on जोशीमठ:इसरो ने धंसाव संबंधी रिपोर्ट वापस ली,सरकार ने संस्थानों के मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई A+ / A-

नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने दर्जन भर सरकारी संस्थानों और वैज्ञानिक संगठनों को उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा नहीं करने का निर्देश दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, निर्देश में कहा गया है कि उनके द्वारा की गई ‘स्थिति की व्याख्या’ न सिर्फ प्रभावित निवासियों, बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रही है.

भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) द्वारा शुक्रवार (13 जनवरी) को जारी एक प्रारंभिक रिपोर्ट, जो जोशीमठ के कुछ हिस्सों में ‘तेजी से धंसाव’ की घटना दिखाती है, को एनआरएससी की वेबसाइट से हटा दिया गया है.

प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से 7 महीनों की अवधि में जोशीमठ शहर के भीतर 8.9 सेंटीमीटर तक ‘धीमा धंसाव’ दर्ज किया गया था. इसरो के ‘कार्टोसेट-2एस’ उपग्रह के डेटा ने 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच सिर्फ 12 दिनों में करीब 5.4 सेंटीमीटर ‘तीव्र धंसाव’ दर्ज किया था.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शहर के मध्य भाग में तेजी से धंसाव हुआ है. इसमें कहा गया है मुख्य धंसाव क्षेत्र जोशीमठ-औली रोड के पास 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

शनिवार को एनआरएससी के अधिकारी इस पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं थे कि रिपोर्ट क्यों हटाई गई. इसरो के प्रवक्ता को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला.

लेकिन उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने संडे एक्सप्रेस को बताया कि इसरो की रिपोर्ट को लेकर जोशीमठ में दहशत है, इसलिए उन्होंने इसरो के निदेशक से बात की और उनसे रिपोर्ट हटाने को कहा.

रावत ने कहा, ‘वेबसाइट पर यह कहा गया था कि भू-धंसाव हो रहा है और उसने यहां (जोशीमठ में) दहशत पैदा कर दी. इसलिए मैंने उनसे केवल आधिकारिक बयान देने के लिए कहा और वेबसाइट पर ऐसे ही कुछ भी पोस्ट नहीं करने को कहा. मैंने उनसे केवल सच बोलने के लिए कहा और अगर ऐसा नहीं है तो इसे वेबसाइट से हटा दें. मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे आधिकारिक रिपोर्ट दें और जब तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट न हो तब तक दहशत पैदा न करें.’

धंसाव के संबंध में इसरो द्वारा जारी की गई तस्वीर, जिसे अब हटा लिया गया है.

उन्होंने कहा कि एनडीएमए का पत्र तब जारी किया गया जब उत्तराखंड सरकार ने एजेंसी से कहा कि जोशीमठ से संबंधित किसी भी रिपोर्ट को पहले केंद्र या राज्य सरकार से मंजूरी लेनी चाहिए.

रावत ने कहा, ‘हमने एनडीएमए से अनुरोध किया है. मैंने व्यक्तिगत रूप से इसरो के निदेशक से बात की है. इसके पीछे मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि लोगों में कोई दहशत न हो. यहां के लोग पहले से ही परेशान हैं.’

जोशीमठ के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा करने पर रोक लगाने वाला एनडीएमए कार्यालय का ज्ञापन शुक्रवार को जारी किया गया.

इसमें रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, कोलकाता स्थित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), हैदराबाद स्थित एनआरएससी-इसरो, नई दिल्ली स्थित केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), देहरादून स्थित भारतीय सर्वेयर जनरल (एसओआई), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस), हैदराबाद का राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), देहरादून का वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), आईआईटी रुड़की, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), देहरादून स्थित उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) के प्रमुखों को मीडिया से बाचतीत और आंकड़े साझा करने से बचने के लिए कहा गया है.

एनडीएमए ने अपने कार्यालय ज्ञापन में कहा, ‘यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में विषयवस्तु से संबंधित डेटा जारी कर रहे हैं. साथ ही वे मीडिया में अपने मुताबिक स्थिति व्याख्या कर रहे हैं. यह न केवल प्रभावित निवासियों के बीच बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहा है.’

इसमें कहा गया है कि 12 जनवरी 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे पर प्रकाश डाला गया था.

इसमें कहा गया है, ‘इसके अनुसार 12 जनवरी 2023 को एनडीएमए के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान भी इस पर चर्चा की गई. साथ ही जोशीमठ में जमीन धंसाव के आकलन के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है.’

एनडीएमए ने कहा, ‘आपसे अनुरोध है कि इस मामले को लेकर अपने संगठन को संवेदनशील बनाएं और एनडीएमए द्वारा विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट जारी होने तक मीडिया मंचों पर कुछ भी पोस्ट करने से बचें.’

एनडीएमए के आदेश और इसमें उत्तराखंड सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए राज्य कांग्रेस अध्यक्ष करण महरा ने राज्य सरकार पर ‘इस तथ्य को छिपाने का आरोप लगाया है कि उन्होंने कभी विशेषज्ञों की बात नहीं सुनी और किसी भी विशेषज्ञ के सुझाव को कभी लागू नहीं किया गया.’

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. जोशीमठ में जो हो रहा है, वह ऐसा कुछ है जिस पर बहुत अधिक जन जागरूकता की जरूरत है. जब तमाम तरह के विचार और सुझाव सामने आएंगे, तभी दूसरी एजेंसियों के सामने चीजें स्पष्ट होंगी. यदि वैकल्पिक विचारों का स्वागत नहीं किया जाता है, तो यह अच्छी बात नहीं है.’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘संकट को हल करने और लोगों की समस्याओं का समाधान खोजने के बजाय सरकारी एजेंसियां ​​इसरो की रिपोर्ट पर प्रतिबंध लगा रही हैं और अपने अधिकारियों को मीडिया से बातचीत करने से रोक रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह है कि जो वास्तविक स्थिति बता रहे हैं, उनको सजा मत दीजिए (डोंट शूट द मैसेंजर).’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘वे एक संवैधानिक संस्था से दूसरे पर हमला करवाते हैं. अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, इसरो को चुप रहने के लिए कह रहा है.’

इस बीच रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) की तकनीकी निगरानी में दरारों के कारण ऊपरी हिस्से से एक दूसरे से खतरनाक तरीके से जुड़ गए दो होटलों – सात मंजिला ‘मलारी इन’ और पांच मंजिला ‘माउंट व्यू’ को तोड़ने की कार्रवाई जारी रही.

इन दोनों होटलों के कारण उनके नीचे स्थित करीब एक दर्जन घरों को खतरा उत्पन्न हो गया था.

उधर, चमोली में जिला आपदा प्र​बंधन प्राधिकरण ने बताया कि जोशीमठ के 25 और परिवारों को शुक्रवार को अस्थाई राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया. हालांकि, उन भवनों की संख्या अभी 760 ही है, जिनमें दरारें आई हैं और इनमें से 147 को असुरक्षित घोषित किया गया है.

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब तक जोशीमठ के 90 परिवारों को ‘स्थानांतरित’ किया गया है.

प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने कहा कि अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है, इसलिए वहां भू-धंसाव हो रहा है.

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जिन शहरों के नीचे कठोर चट्टानें हैं, वहां जमीन धंसने की समस्या नहीं होती हैं.

संधु ने कहा कि 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आई थी.

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पानी निकलने को लेकर विभिन्न संस्थान जांच में लगे हैं.

संधु ने कहा कि विशेषज्ञ जोशीमठ में सभी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद यह मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और उसके आधार पर ही कोई निर्णय किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है और उन सभी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए एक समिति बनाई जाएगी जो अपना निष्कर्ष देगी.

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