(जशपुर नगर )-छत्तीसगढ में स्थित जिला जशपुरनगर और वहां के कोतवाल हैं भैरव बाबा,जो जशपुरनगर मुख्यालय से 10 किमी दूर सोगड़ा ग्राम के पास स्थित पहाड़ी की गुफा में अवस्थित हैं.जशपुर नगर के पूर्व महाराज जिन्हे अवधूत भगवान रामजी ने राजर्षि की उपाधि से विभूषित किया था एक बार वराह का शिकार करते हुए इसी गुफा में चले गये थे और देवी ने इन्हे दर्शन दिये.महाराज ने यह भी उल्लेख किया था की गुफा के अंदर मनोहारी प्राकृतिक दृश्य भी हैं और एक झील भी है. जैसा जन श्रुतिओं में कहा गया है.इस स्थान पर एक वन विभाग के अधिकारी का आना हुआ और जंगल संरक्षण,संवर्धन के प्रेम एवं फर्ज ने इस स्थान को वह स्वरूप प्रदान किया है जो आने वाली पीढ़ियों को जंगल संरक्षण की दिशा में प्रेरणा और दिशानिर्देश प्रदान करता रहेगा.
एक वन अधिकारी इस स्थल के प्राकृतिक स्थल को सहेजने एवं जन-जन से परिचित करवा जंगल बचाने का कर रहे भागीरथ प्रयास
इस भैरव पहाड़ आध्यात्मिक महत्ता एवं नैसर्गिक सुन्दरता को पहचाना आइएफ़एस अधिकारी के के बिसेन ने ,वे बताते हैं जब वे इस पहाड़ पर गए तो भ्रमण के दौरान इन्हें जंगली मुर्गे दृष्टिगोचर हुए वानिकी के इस विद्यार्थी को इस स्थान पर प्राकृतिक प्रचुरता के संकेत नजर आये और इन्होने इसे सहेजने का संकल्प लिया.
यहाँ राष्ट्रीय पक्षी मोर बहुतायत में हैं इनके संरक्षण एवं वृद्धि की संभावना बहुत है ,बिसेन ने बताया की प्राकृतिक रूप से जल संरक्षित कर अंकुरित बीज यहाँ विभाग एवं जन-सहयोग से डाले जायेंगे जिससे मोरों की संख्या में वृद्धि होगी.जल संरक्षण के स्थान पर मछलियां डाली जायेंगी जिससे प्राकृतिक चक्र को गतिशील करने में मदद एवं वृद्धि को दिशा मिलेगी.
“भैरव जलाऊ मंडप” एक अभिनव योजना
श्री बिसेन ने बताया की ग्रामीण जन जंगल से जलाऊ लकड़ी न लेकर इस मंडप में एकत्रित जलाऊ लकड़ी का उपयोग अपने दैनिक कार्यों में करेंगे.इस मंडप में महीने में एक दिन जंगल से जलाऊ लकड़ियाँ एकत्रित की जायेंगी.ग्रामवासी वनकर्मीओं के साथ जंगल जायेंगे एवं लकड़ियाँ एकत्र कर इस मंडप में जमा करेंगे.इस मंडप से उन्हें दैनिक उपयोग की लकड़ियाँ वितरित की जायेंगी इससे वन-विभाग पर कोई अतिरिक्त खर्च का भार भी नहीं आएगा एवं ग्राम वासी भी जंगल का सही उपयोग सीखेंगे.
इको टूरिज्म के अंतर्गत हो रहा संरक्षण,वृक्षों को ऋषिओं के नाम पर चिन्हित किया गया है.
वृक्षों का इस पर्वत पर विभाग ने नामकरण किया है जो भारत के ऋषिओं के नाम से पल्लवित हो रहे हैं.इसके पीछे उद्देश्य है की भारत की प्रचुर आध्यात्मिक परंपरा को भी लोग याद करें एवं वृक्षों को भी सहेजने की प्रेरणा मिले.
वर्तमान में श्री के के बिसेन सरगुजा वृत्त में मुख्य वन संरक्षक के पद पर हैं