नई दिल्ली. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट इस पर आज फैसला सुना सकता है। कोर्ट बताएगा कि यह मामला संविधान पीठ को रेफर किया जाए या नहीं। तीन जजों की बेंच ने इस मुद्दे पर 20 जुलाई को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में आज व्यभिचार मामले में भी अहम फैसला किया जा सकता है। कोर्ट तय करेगा कि इसमें महिला को भी दोषी माना जाए या नहीं?
जमीन विवाद से पहले यह मामला निपटाना जरूरी : मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उस वक्त कोर्ट का फैसला उनके साथ अन्याय था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जमीन बंटवारे के 2010 के फैसले को प्रभावित करने में इसका बड़ा किरदार था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का जमीन बंटवारे के मुख्य मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस मामले को निपटाना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष का कहना- 1994 के फैसले ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला प्रभावित किया
हिंदू पक्ष का कहना है- 1994 के फैसले को फिर विचार के लिए भेजकर मुस्लिम पक्ष जमीन विवाद पर फैसला टालना चाहता.