भोपाल-मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और दलितों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला ले चुकी है.
अब सरकार भाजपा राज में दर्ज दूसरे केस भी वापस लेने की तैयारी में है. राज्य के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने इस बात के संकेत दिए कि पिछले 15 वर्षों के दौरान बीजेपी शासन में ईसाइयों के खिलाफ दर्ज हुए राजनीतिक मामलों को वापस लिया जाएगा.
मप्र के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने बयान देते हुए बताया की धर्म आधारित केस मप्र में वापस होंगें इसके लिए जिला स्तर पर जांच कमेटियां बनायी जायेंगी.
धर्म विशेषतः इसाई व्यक्तियों एवं संगठनों पर धर्मांतरण के आरोपों पर मुक़दमे दर्ज हैं इनकी संख्या ज्यादा है अतः इस बात पर बवाल मच गया है.इसाई संगठनों का आरोप है की भाजपा ने इसाई लोगों को कांग्रेसी निरुपित कर मुक़दमे दर्ज करवाए हैं और पिछले 15 वर्षों में इनका निराकरण भी नहीं होने दिया है.
इधर ईसाई समुदाय के लोगों पर दर्ज केस वापस लेने के बयान का बीजेपी ने विरोध किया है. पार्टी ने कहा कि धर्मांतरण के मामले वापस लिए गए, तो बीजेपी इसका डटकर विरोध करेगी. भाजपा ने कहा कि प्रदेश सरकार के विधि मंत्री जिस तरह से ईसाई मिशनरीज पर दर्ज धर्मांतरण के मामले वापस लेने की बात कह रहे हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस सरकार प्रदेश में धर्मांतरण को बढ़ावा देने की योजना बना रही है.
- राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के मुताबिक पहला मामला 4 दिसम्बर 2003 में झाबुआ ज़िले में सामने आया, जब ईसाई समुदाय के लोगों पर हमला हुआ. इसमें एक शख्स की मौत भी हो गई थी.
- 2004 के जनवरी, मार्च, अप्रैल और मई महीने में भी ईसाइयों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए.
- साल 2005 में भी राजगढ़, जबलपुर, मंडीदीप, इंदौर, ग्वालियर और डबरा में घटनाएं सामने आई और हर साल इनमें इजाफा होता गया.
- फादर मुंटूगल के मुताबिक उनके पास 264 मामलों की जानकारी तो है, लेकिन ऐसे भी कई मामले हैं, जिनकी जानकारी राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के पास नहीं है.