(खुसुर-फुसुर )– मप्र के एक प्रशासनिक पृष्ठभूमि के नेताजी जिनका नाम पद के साथ फर्जीवाडों से हमेशा रोशन रहा है या यह कहा जाय की फर्जीवाड़ा उनका पसंदीदा शगल है ने जब मप्र के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे पर अपनी मीठी बोली का जाल फैला कर लाल या पीली बत्ती हासिल कर ली तब कुछ खबरनवीसों ने कहा की हो सकता है अब ये नेताजी कुछ सुधर जाएँ क्योंकि इन पर विनय सहस्त्रबुद्धे का ठप्पा लग गया है .
लेकिन व्यक्ति अपने मूल स्वभाव से अलग नहीं हो पात़ा और आखिर एक दबंग अखबार ने महोदय के फर्जीवाडों की कलई खोल ही दी.आपको बता दें की विनय सहस्त्रबुद्धे जी ने जिस प्रेम की वजह से इन्हें नवाजा है उसी प्रेम की बयार ये भी बहा रहे हैं.अब देखना है की सहस्त्रबुद्धे को अपने कृपा पात्र पर गर्व होता है या वे अपना सर धुनते हैं यह समय बतायेगा.वैसे जिस तरह का नेता जी का भूतकाल है और वर्तमान सामने आया भविष्य में वे सबक लेंगे कठिन लगता है.