मध्यप्रदेश समवर्ती अंकेक्षण की व्यवस्था शुरू करने वाला देश का पहला राज्य
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के लेखांकन तथा अंकेक्षण की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चत करते हुए चालू माली साल के लेखाओं के समवर्ती अंकेक्षण (Concurrent Audit) का कार्य शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में 13 वें वित्त आयोग तथा योजना आयोग द्वारा स्थानीय निकायों की लेखा तथा अंकेक्षण व्यवस्था के सुचारू क्रियान्वयन के लिये दिये गये मार्गदर्शी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया गया हैं। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में विकास आयुक्त कार्यालय में हुई बैठक में लेखांकन तथा अंकेक्षण कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में संम्पन्न किये जाने के बारे में व्यापक दिशा निर्देश दिये गये।
श्रीमती शर्मा ने बताया कि अब त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के लेखांकन और अंकेक्षण को अनिवार्य किया गया है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पिछले वित्त वर्ष के लेखांकन का अंकेक्षण अगस्त 2013 तक अनिवार्य रूप से सम्पन्न किया जाये। उन्होंने कहा कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ग्राम-पंचायतों के पिछले माली साल का अंकेक्षण जून माह तक, जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत के लेखाओं का अंकेक्षण जुलाई माह तक और पंचायत राज संचालनालय के लेखाओं का अंकेक्षण अगस्त 2013 तक संम्पन्न किया जायेगा। इसके साथ ही सभी ग्राम, जनपद और जिला-पंचायत तथा राज्य मुख्यालय पर चालू वित्तीय वर्ष के लेखाओं के समवर्त्ती अंकेक्षण की कार्यवाही नियमित रूप से हर माह अनिवार्य रूप से की जायेगी। ग्राम-पंचायत के अंकेक्षण की कार्यवाही का सत्यापन जनपद पंचायत-स्तर पर तथा ग्राम और जनपद-पंचायत के अंकेक्षण का सत्यापन जिला स्तर पर किया जायेगा।
पंचायत राज संस्थाओं के लेखांकन तथा अंकेक्षण व्यवस्था के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिये प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालय पर एक-एक सीए एजेंसी की नियुक्ति की गई है। यह एजेंसी हर जिले के लिये सभी जरूरी साधन सुविधाओं के साथ जिला-स्तरीय अंकेक्षण कार्यालय प्रारंभ करेगी और प्रत्येक जिले के लिये एक-एक सीए को नियुक्त करेगी। इसी तरह प्रत्येक जनपद पंचायत मुख्यालय पर एक-एक इंटरमीडियट योग्यताधारी सीए तथा हर पन्द्रह ग्राम पंचायत के समूह पर एक-एक आर्टिकलशिप कर रहे प्रशिक्षु सीए अथवा आर्टिकल क्लर्क को अंकेक्षण कार्यों के लिये नियुक्त किया जा रहा है। लेखा तथा अंकेक्षण व्यवस्था के बेहतर अमल के इन कार्यों पर विभाग द्वारा करीब 16 करोड़ 50 लाख की राशि खर्च की जायेगी।
प्रदेश की सभी त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में धनराशि का लेन-देन अब अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रानिक माध्यम से ही होगा। लेखांकन की प्रभावी व्यवस्था तथा समवर्ती अंकेक्षण से पंचायत राज संस्थाओं को विभिन्न योजनाओं तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये मुहैया करवायी जाने वाली सभी धनराशि का सही-सही हिसाब अब उपलब्ध हो सकेगा। इससे लेन-देन संबधी त्रुटियों को दूर करने और क्षमता संवर्धन में मदद मिलेगी और लेखा संबधी अभिलेखों का बेहतर रख-रखाव सुनिश्चित होगा। बैठक में विभिन्न संभाग के लिये नियुक्त सीए एजेंसी के प्रतिनिधियों को राज्य मुख्यालय से ग्राम पंचायत स्तर तक के अंकेक्षण की कार्रवाई के बारे में सभी जरूरी मुद्दों पर विस्तार से बताया गया। इस दौरान सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास डॉ. राजेश राजोरा, आयुक्त, पंचायत राज श्री रघुवीर श्रीवास्तव तथा उप महाप्रबंधक ई-स्टेप्स टी. गणेश कुमार के साथ ही वरिष्ठ वित्त अधिकारी मौजूद थे।