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 पूजा के बाद क्यों जरूरी है आरती ? | dharmpath.com

Wednesday , 30 April 2025

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पूजा के बाद क्यों जरूरी है आरती ?

puja-pathघर हो या मंदिर, भगवान की पूजा के बाद घड़ी, घंटा और शंख ध्वनि के साथ आरती की जाती है। बिना आरती के कोई भी पूजा अपूर्ण मानी जाती है। इसलिए पूजा शुरू करने से पहले लोग आरती की थाल सजाकर बैठते हैं। पूजा में आरती का इतना महत्व क्यों हैं इसका उत्तर स्कंद पुराण में मिलता है। इस पुराण में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं।

आरती का धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। याद कीजिए आरती की थाल में कौन कौन सी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। आपके जेहन में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन जरूर आ गया होगा। रुई शुद्घ कपास होता है इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है। इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है। कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है।

जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है। इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारत्मक उर्जा भाग जाती है और सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है।

आरती में बजने वाले शंख और घड़ी-घंटी के स्वर के साथ जिस किसी देवता को ध्यान करके गायन किया जाता है उसके प्रति मन केन्द्रित होता है जिससे मन में चल रहे द्वंद का अंत होता है। हमारे शरीर में सोई आत्मा जागृत होती है जिससे मन और शरीर उर्जावान हो उठता है। और महसूस होता है कि ईश्वर की कृपा मिल रही है।

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