यदि आप श्री अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर आए हैं तो आपके पास यहां के एतिहासिक धर्म-स्थलों के दर्शन का सुनहरा मौका है। ऐसा न हो कि जानकारी के अभाव में आप इन तीर्थ स्थलों के अलौकिक दर्शन से वंचित रह जाएं। आइए हम आपको ले चलते हैं एक यादगार यात्रा पर।
मनमोहक लुभावने हरे-भरे मैदान, भव्य पर्वत शिखर और उसके बीच झीलों और घाटियों का सिलसिला.।
जम्मू संभाग के हर मोड़ पर एक नया रोमांच आपको चौंका देगा। प्राचीन मंदिरों के जगमगाते शिखरों और पहाड़ों पर स्थित पवित्र धर्म-स्थलों के बीच ये नजारे आपको कल्पना से भी परे लगते हैं। किन्तु इन दृश्यों का आनंद यहां लिया जा सकता है। यदि आपने एक बार इनके सौंदर्य का रसपान कर लिया तो ता उम्र आप इसे भूल नहीं पाएंगे। ऐसे खूबसूरत नजारे जिन्हें आप देखेंगे तो बस देखते रह जाएंगे.।
पीरखोह- शहर से साढे़ तीन किलोमीटर दूर सर्कुलर रोड पर बने इस मंदिर में एक गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग बना है। यह कितना प्राचीन है और कैसे बना, यह कोई नहीं जानता। ऐसी मान्यता है कि यह गुफा अंदर ही अंदर बहुत से अन्य तीर्थ गुफाओं से जाकर मिलती है और देश की सीमा पार कर जाती है।
सुद्धमहादेव- जम्मू से लगभग 120 किलोमीटर दूर पत्नीटाप के पास समुद्रतल से 1225 मीटर की ऊंचाई पर यह तीर्थ स्थल स्थित है। श्रवण पूर्णिमा (जुलाई-अगस्त) की रात त्रिशूल और छड़ी की पूजा करने लोग यहां जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह छड़ी व त्रिशूल भगवान शिव के हैं।
गौरीकुण्ड- सुद्धमहादेव से पहले बना है यह कुण्ड। बताया जाता है कि यहां देवी पार्वती सुद्धमहादेव की पूर्जा-अर्चना करने से पहले प्रतिदिन स्नान किया करती थीं। इसलिए देवी पार्वती के नाम से ही झरने से बने इस कुण्ड को गौरीकुण्ड कहते हैं। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।