यूनिवर्सिटी ऑफ ब्यूनस आयर्स में राजनीतिक विश्लेषक सिमोन ने कहा कि इस मामले पर फिलीपींस की ओर से पंचाट का अनुरोध देश की उस प्रतिबद्धता का उल्लंघन है, जो उसने 2002 में दक्षिण चीन सागर में विभिन्न पक्षों के आचरण पर घोषणा-पत्र में जताई थी। इसलिए क्षेत्रीय और क्षेत्राधिकार से संबंधित विवादों को दोनों संप्रभु देशों द्वारा सीधे तौर पर मैत्रीपूर्ण विचार-विमर्श के जरिये हल किया जाना चाहिए।
चीन का भी इस मामले में कहना है कि फिलीपींस को अपने मध्यस्थता के अनुरोधों को छोड़ देना चाहिए और द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार होना चाहिए।
वहीं, फिलीपींस के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते ने कहा कि वह चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करना चाहते हैं और दक्षिण चीन सागर विवाद को लेकर वह प्रत्यक्ष वार्ता के लिए तैयार हैं। दुतेत्रे 30 जून को पदभार ग्रहण करने वाले हैं।