कोलकाता, 20 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नारद स्टिंग विवाद की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जांच आदेश का इस अदालत में लंबित कई जनहित याचिकाओं से कोई संबंध नहीं है।
जनहित याचिकाओं में से एक के वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने दावा किया कि मुख्यमंत्री बनर्जी के आदेश को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप माना जाए। भट्टाचार्य ने इस मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की अध्यक्षता वाली पीठ का ध्यान आकृष्ट किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामला विचाराधीन है और बाहर कौन क्या कह रहा है इसका कोई महत्व नहीं है।
भट्टाचार्य ने कहा, “जांच न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना है। इसलिए मैंने इसकी ओर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि मामला विचाराधीन है और इसके बारे में बाहर कोई क्या कह रहा है यह महत्व नहीं रखता। अदालत खुद इस मामले का निर्णय लेगी।”
अदालत ने सरकारी वकील को 24 जून तक जांच का पूरा ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया।
एक पोर्टल नारद न्यूज ने यह स्टिंग किया था। इसमें तृणमूल कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक नेता, जिनमें कैमरे के सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्रिमंडल के बड़े नेता और सांसद रिश्वत के रूप में रुपये के बंडल स्वीकार करते नजर आए थे। ये नेता रिश्वत लेकर एक काल्पनिक कंपनी के लिए पक्षपात करने को तैयार हुए थे।
इस मामले की जांच के लिए 17 जून को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश के बाद शहर की पुलिस ने नारद न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुअल के खिलाफ अवमानना सहित विभिन्न धाराओं के तहत जांच शुरू की है।
अदालत ने 29 अप्रैल को टेपों एवं रिकार्ड करने वाले यंत्रों की जांच हैदराबाद स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से कराने का आदेश दिया था। उसकी रपट का अभी इंतजार किया जा रहा है।