काठमांडू/नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की बैठक बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हुई। यह बैठक गुरुवार को होने वाली मंत्री स्तरीय बैठक की दिशा तय करेगी।
संयुक्त आयोग वार्ता में नेपाल और भारत के विदेश सचिव क्रमश: शंकर दास बैरागी और एस. जयशंकर नेपाली और भारतीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कर रहे हैं। नेपाल और भारत की मंत्री स्तरीय बैठक पहले हुए समझौतों को लागू करने और दोनों देशों में सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने पर केंद्रित रह सकती है।
संयुक्त आयोग नेपाल और भारत के द्विपक्षीय तंत्र का सर्वोच्च स्तर है, जो दोनों देशों के बीच के रिश्तों के सारे पहलुओं की समीक्षा करने के लिए और संबंधित अधिकारियों को लंबित मुद्दों के समाधान के लिए निर्देश देने और भविष्य के रिश्ते की रूपरेखा तैयार करने के लिए अधिकृत है।
उन बिन्दुओं पर सहमति बनाने और जिन मुद्दों को निपटाने के लिए और समय की जरूरत है, उसी पर यह बैठक केंद्रित है। इस बैठक में पहले जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उन पर जल्दी अमल के लिए दबाव डाला जाएगा, ताकि निकट भविष्य में नेपाल में भारत के पैसे से चलने वाली परियोजनाओं में वास्तविक प्रगति नजर आए।
भारत दौरे पर रवाना होने से पहले नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरण महात ने कहा, “इस बैठक में दोनों देशों के रिश्तों की व्यापक समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर दोनों देशों के बीच हाल की उच्चस्तरीय बैठक में सहमति बनी है, उन्हें लागू करने के लिए बढ़ाया जाएगा।”
पहली बार संयुक्त आयोग का गठन 1987 में किया गया था। इसकी तीसरी और अंतिम बैठक 23 वर्ष बाद वर्ष 2014 के मई में हुई थी। इस बैठक में दो वर्ष पहले हुई संयुक्त आयोग की बैठक और अन्य उच्चस्तरीय बैठकों में उठे मुद्दों में क्या प्रगति हुई, इसकी समीक्षा होगी।
मंत्री स्तरीय बैठक का नेतृत्व सुषमा स्वराज करेंगी और इसमें विभिन्न मंत्रालयों के सचिव भी होंगे।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरण महात ने कहा कि नेपाल और भारत की सीमा पर एकीकृत जांच चौकियों का निर्माण कार्य, महाकाली समझौते पर अमल, सड़कों को जोड़ने, दोनों देशों के बीच पेट्रोलियम पाइपलाइन लगाने का काम, बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा, व्यापार, पारगमन और नेपाल को भारतीय सहायता देने के तौर-तरीके तय करना शामिल है।
सीमा के मुद्दे पर नेपाल और भारत नदी क्षेत्रों में स्थित कुछ खंभों की डिजाइन बदलना चाहेंगे। हालांकि दोनों पक्षों ने सीमा पर खंभे लगाने में प्रगति की है।
नेपाल से भी सनकोशी मोड़ के निर्माण के लिए कहा जाएगा। यह सप्त कोशी बहुद्देश्यीय योजना से ही निकला है।