एक रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्र पार करने के दौरान करीब 370 प्रवासियों और शरणार्थियों की मौत हो गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, “2015 में विभिन्न देशों के करीब 33,600 शरणार्थियों और प्रवासियों ने तस्करों की नाव का सहारा लिया था।”
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की जानकारी का हवाला देते हुए दुजारिक ने कहा, “बंगाल की खाड़ी और अंडमान समुद्र को पार करने वाले नागरिक रोहिंग्या (म्यांमार में रोहिंग्या भाषा बोलने वाले लोग) और बांग्लादेशी थे।”
यूएनएचसीआर की रिपोर्ट से पता चलता है कि अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही बीमारी, पानी की कमी, तस्करों द्वारा की गई क्रूरता और मुख्य रूप से भुखमरी के कारण सैकड़ों शरणार्थियों की मौत हो चुकी थी।
हालांकि, 2015 की दूसरी छमाही में इस जानलेवा यात्रा करने वाले शरणार्थियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई थी।
एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि मई 2015 में करीब 5,000 शरणार्थियों और प्रवासियों को समुद्र में असहाय छोड़ दिया गया।
दुजारिक ने कहा कि शरणार्थियों की मदद करने की जिम्मेदारी पूरे विश्व की है।